मोबाइल फोन कहने को तो बस दो शब्द है मगर 21वी शताब्दी के लोगो की जान है मोबाइल फोन।
सुबह उठना हो तो मोबाइल फोन का अलार्म बजता है। समय भी यही बता देता है। खाना ऑर्डर करना हो या ऑफिस के लिए कैब, सारे काम एक टच से हो जाते है। Selfies और reels मे हज़ारो मुस्कान और खुशियाँ कैद किये रखता है। पढ़ाई से लेकर नौकरी तक, हर क्षेत्र की सुविधा देता है। मगर ये मोबाइल फोन ही तो है जिसने इंसान को खुद मे ही कैद कर दिया है। तभी तो आज एक कमरे मे 10 लोग साथ होकर भी साथ नही क्योंकि वो अपने मोबाइल फोन को टाइम देते है। अजीब बात है न, जब फोन मे तार लगी थी तब इंसान आज़ाद घूमते थे, रिश्तों को समय देते थे। जब फोन आज़ाद हुआ तो इंसान फोन मे कैद हो गये।
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