ना आंखों को खोलने की जूर्रत की ना लब लड़खड़ाये..।।
आरज़ू दिल में सिसकती रही, और तुम्हें हम रोक ना पाये..।।-
सुनो...
इतनी देर मत करना लौट कर आने में,
की चाबियां भी बेअसर हो जाएं तालों पर।।
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तेरा साथ तो मुकद्दर हैं, मिलें या ना मिले...
राहत जरूर मिल जाती हैं, तुम्हें अपना सोच कर...-
कहा था ना मैंने...
अगर हो सके,तो मुहब्बत करना
दिल्लगी से टूट जाऊंगी ।।-
ये ग़लत कहा किसी ने...
।।के तेरा कोई पता नहीं।।
तुझे ढूंढने की हद तक...
।।कभी कोई ढूंढता हीं नहीं।।-
जाना है तो जाओ पर, अपनी यादों को लेते जाओ
मेरा इनपर हक नहीं अब तुम इनको समझाओं
तुम मेरे हो ये झूठा अहसास क्यूं हर बार करा जाती हैं
रोक लो अपनी इन यादों को क्यूं हर बार ये आ जाती हैं...-
मुहब्बत की बरसात फिर हो रही हैं...
डर हैं कहीं फिर भींग ना जाऊं...❤️
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एक मंज़र था तेरा "इश्क"जो गुज़र गया ।।
पड़ाव थे मेरे जज़्बात,वो वहीं ठहर गये ।।-
वो अधूरी मुलाकात जिंदगी में एक बहार सी लाई थी,
हर आईने मे बस तस्वीर तेरी नज़र आईं थीं..
लोग कहते है प्यार में निंदे उड़ जाती हैं,
पर हमने तो निंदों में, प्यार की अपनी दुनिया बनाई थी...-