कितनी खुदगर्ज हूँ
स्वयं को ढूंढ रही हूँ...!-
मगर तुम्हारी खामोशी मेरी साँसों का विराम चिन... read more
एक प्रेम पाति लिख रहीं हूँ
पढ़ लेना,
पढ़ पाओ यदि...
(Read in caption👇)-
तुम आना मेरे दिल में
शून्य तलक़
और रह जाना तब तक
जब तक ,
शेष न रह जाए शून्य भी...!!!
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बस इतना सा फर्क रखना,
मैं तुझमें प्रेम देखूँ
तुम मुझमें देह ही देखना...!!!-
बहुत मसरूफ़ रहती हूँ गम में अपने ,
जरा दिल दुखाने की कवायद कर दो.... !!!
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शीतलहर से झुलसते पौध
हर सुबह बाट जोहते हुए ,
निहारते हैं आसमान
शायद इसलिए
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किसान को नहीं सताती सरदी !!!
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विकल मन... विलय चाहता है
मन से मन का...
नयन और नयन का...
प्राण से प्राण का...!!!
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शीत हो या ताप...
चुपचाप ये सहते हैं!
रखतें हैं मुस्कान होंठों पर ,
जुबां से कुछ ना कहतें हैं!
खाली पेट तो कभी...
खाली जेब भी निकल पड़ते हैं...
संवारने को नौनिहालों का कल
ये हर वक़्त ज़तन करतें हैं !
कोई ज़ात... ना कोई मज़हब है इनका
बस एक ही मकसद है इनका,
कि... शिक्षा का अलख़ हर दिल में जगाएंगे
लौ ज्ञान का... अपने ज्ञान से जलाएंगे
एक नया सूरज...
गगन पर चमकेगा एक दिन ,
हर बच्चा अपने ज्ञान से
निखरेगा एक दिन...
यही मंत्र ये बार - बार अपनें मन में कहतें हैं,
शीत हो या ताप...
चुपचाप ये सहतें हैं!!!
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