जिंदगी के उथल-पुथल से, हैरान हर आदमी ।
क्या करूं ,क्या करूं ,परेशान हर आदमी ?
किसी की नसीहत भी ,समझ में नहीं आती ।
अपने कर्मों का सजा ,खुद भोगता हर आदमी ।
पग लंबा हो गया है ,या जिंदगी की रफ्तार धीमी है...
सोचता- विचारता ....निराशा ..
हर आदमी....
महफूज कहां, किस जगह पर...
A.C. में भी बैठकर ,पसीना बहाता आदमी।
अपने जमीर को बेचकर,कहां भटक रहा आदमी...।-
हर कदम कदम पर ऐसे लोग मिल जाते हैं,
हर कदम कदम पर ऐसे लोग मिल जाते हैं।
खाते है जिस थाली में ,उसी में छेद कर देते हैं।
बोलने को आपके पास कुछ नहीं होता,
क्योंकि अपना बनाकर वह आपके दिल में घुस जाते हैं।-
जिंदगी गुजर गई....
जिंदगी गुजर गई, उस जिंदगी को सुलझाते- सुलझाते।
एक तिनका भी ना ले जा सका,
इस दुनिया से जाते-जाते।
जिंदगी को सजाए हमने जिस शौक से,
उस शौक में,जिंदगी को खरीदना भूल गए।
हकीकत बांया तो होती थी,
मगर हम उसे अपनाने से चुक गए....।
हम ज़माने से छूट गए.....।
-sweety Sapna
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जिस घड़ी तुमने मेरा हाथ पकड़ा था,
उस समय जीने का मुझे एहसास भी ना था।
भगवान ने तो सांसे देकर धरती पर भेज दी।
तुमने ही तो मुझे संभालना सिखाया था।
गुरुर खुद पर मैं कैसे करूं,
आज मैं जो कुछ भी हूं जिस मुकाम पर हूं,
उसे कामयाबी कहूं या तेरा बलिदान कहूं।
भगवान करे हर जन्म में मुझे तु मिले,
चाहूंगा मैं तुझे हर खुशियां जरूर मिले।
तेरा हक मुझ पर पूरा है - मां
क्योंकि तेरे बिन , मैं अधूरा हूं -मां..।-
किसी के दिल को संभालने के लिए, दिल का होना जरूरी है।
एक-एक दिन जिंदगी कट रही ,कभी अपने लिए जीना भी जरूरी है।
फुर्सत ना मिलेगी जिंदगी को किसी भी मुकाम पर,
जिंदगी जी लो ऐसे ,की तेरा नाम हो ,हर नेक बंदै की जुबान पर।
दुनिया के बोझ से तुम कितने दब गए हो ।
समय भी बदल गया देखो, तुम्हें सता कर ..
- Sweety Sapna
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जिसने कभी अपने परिवार में रिश्तों के महत्व को ही ना समझा, उसके लिए रिश्तो का अहमियत क्या?
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जिसने कभी अपने परिवार में रिश्तों के महत्व को ही ना समझा, उसके लिए रिश्तो का अहमियत क्या?
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वफा निभाना है तो, खुदा से निभा ऐ बंदे।
कभी मुसीबत में तेरा साथ तो देगा।
एक नेक दिल इंसान है तू, तुझे कौन समझेगा?
तुझे तड़पा के, एक दिन खुदा भी तड़पेगा।
जिंदगी के तकलीफों को तू ,बर्दाश्त कर इस कदर-
कि तेरै जैसे इंसान बनाकर, भगवान भी रोएगा..।
- Sweety Sapna
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धुंध सी है माहौल इसे हम क्या कहें,
अपने भी पराए हो गए इसे हम क्या कहें,
तकदीर की कहानी, तकदीर की कलम से लिखी जाती है।
ना समझे मन ,तो हम इसे क्या कहें ?
दिल और दिमाग पर काबू किसको है,
दिल टूट कर बिखर जाए , तो इसे हम क्या कहें?
-sweety Sapna
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वक्त नहीं है आया मुट्ठी में,
जरा वक्त को मुट्ठी में आने दो।
बंजर धरती है यहां, जरा बारिश हो जाने दो।
ऐसा नहीं है कि अपना वक्त नहीं आएगा !
वक्त के हिसाब से, जरा वक्त को बदलने दो..
खामोशियां भी टूट जाएगी ...उस दिन..
बस.. इंतजार करो....
जरा वक्त को मुट्ठी में आने दो।
-sweety Sapna
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