Swechha Riddhi   (Swechha)
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Joined 1 April 2020


Joined 1 April 2020
19 OCT 2022 AT 10:02

जो मन और जीवन मे फ़र्क़ कराये,
उस से मुह मोड़ लो,
मन से झगड़ना छोड़ दो
बात झुठलाना, सच दिखाना
रूठे मन को बार बार मना ना!
दिमाग़ के उलझन में,
मन को शिकार बना न रोक दो,
मन से झगड़ना छोड़ दो।
भारी हो तो रो दो,
हल्के हो तो हसा दो,
मन को मान लो,
मन से सांस लो!

-स्वेच्छा

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10 MAR 2022 AT 23:22

आपकी याद में नींद कहाँ आती है;
कभी हवा की झोंक, तो कभी पत्तों की महक तड़पाती है,
रात अधुरी रह जाती है;
जुगनू सा रौशन,रात में जैसे वो चिड़ियों का पोषण!
पास में तुम, फिर भी मन में उलझं,
झींगुर की ध्वनि जैसे आती है,
पर कम्बख़्त रात अधुरी रह जाती है!
साँसें हुई तेज, वो करीब जैसे आती है,
उफ़ आँखें क्यों खुले सपने दिखती है,
रात अधुरी रह जाती है!

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14 JAN 2022 AT 8:13

तुम्हें मैंने झुकाया है,
तुम्हें चुप मैंने कराया है;
तुम भोले, प्यारे,
कुछ कोरे , कुछ कारे!

तुम्हें शर्मशार मैंने कराया है,
तुम्हें खुद को पीछे रखने को
मैंने बताया है!
तेरी मासूमियत का गलत फायेदा
मैंने भी उठाया है;

किस हक़ से माँगू माफ़ी तुमसे,
तुम तो कल हो मेरे,
आग के लपटों मे झुलसे,
बस माफ़ कर दो!

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13 JAN 2022 AT 23:59

चाये भी है,
दो राय भी है
बस तुम नही हो!

पास आये भी है,
घबराये भी है,
बस तुम नही हो!

खोये भी है,
थोड़ा रोये भी है;
आंसू से उसकी
कलाई भीगोये भी हैं,
बस तुम नही हो!

उसके सवालों से परेशां भी हैं,
कुछ हमसे वो अंजान भी है,
उसकी बेकरारी देख हैरान भी है,
क्यों की, हवा तो है पर आसमां नही है,
मैं भी तो हूँ,
बस तुम नही हो!

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13 JAN 2022 AT 23:39

I'm lost n I know,
Frost-is all I can show;
Amid:
Storms and Rains, Pleasures and pains,

I'm lost n I know,
Perplexed in every row,
Of living and leading, sinking and swimming

I'm lost n I know,
Be sightseer,
Beseech is to forgo,
I'm lost n I know,
It reaps wt you sow,
Direction to myself,I'll bestow;
For I am lost and I know.

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8 JAN 2022 AT 21:19

तुम थोड़ा समझोगे,
हम और उलझेंगे;
खुशियाँ तुमसे,
हम साझा करेंगे!

तुम थोड़ा और समझोगे,
हम तुम्हारे करीब हैं,
ख्याल बनाये रखेंगे;
क्योंकि, हम जनाब अजीब हैं|

आगे और समझोगे?
अगर होगी हिम्मत,
तब देखेंगे तुम्हारी शिदत!
अरे मीयां,
नही जानोगे हमारी हक़ीक़त!


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3 JAN 2022 AT 21:59

तेरा मुझको देखना
जी भर के,
अच्छा लगता है मुझे
हम दो- साथ उलझें,
तु डांटे, फटकारे,
ये पहेलि बुझे|
तेरे पास आने का,
कोई रास्ता सूझे,
नाराज़ मैं हुं,
तो,तु भी तो समझे,
कुछ तेरा- कुछ मेरा,
अच्छा लगता है मुझे|


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3 JAN 2022 AT 10:50

You can like smone
Without loving them, BUT
Did you know?
You can love smone :
Without liking them.
You can miss them,
And still not want to see them.
It would break you,
But you still choose to love them
You can fall harder,
And choose to be farther.
You can live them,
Without living with them.
Is it a choice?
If not;
Turn your dice.


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2 JAN 2022 AT 21:03

मैं रहूँ,
मैं हसूँ,
कुछ कहूँ
या सहुँ, तुम मत आना|
मैं अकेली, मैं सेहमि,
मैं फूल, तु टेहनी|
मैं बुलाऊँ, उलझाऊँ
चाहे कितना भी टूट जाऊँ,
तुम मत आना|
नाराज़ नहीं हूँ,
आग़ाज़ ही हूँ,
तेरे मन की मैं,
आवाज़ भी हूँ
इसलिए तुम मत आना|

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27 DEC 2021 AT 23:19

It unchains me from the non-verbal confinements.!

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