ना जाने कैसे ....
कशमकश में फस गए है हम...
मौहब्बत भी कर बैठे है उनसे....
और जहीर करने में डर रहे हैं हम....-
एक बेटी के अपनी मां से कुछ सवाल...
मां सब लड़कियों को देवी बना कर पूजते है...
तो फिर उनके साथ बलात्कार क्यों होता है मां...
मां लड़की हूं तो सब काम पूछ कर करना है...
मै भी भईया की तरह क्यों नहीं जी सकती मां...
शादी करके तो मुझे दूसरे घर भेज देते हो...
पर वहा अगर मुझे परेशानी होती है...
तो आप सब मुझसे रिश्ते क्यों तोड़ लेते हो मां...
मुझे पढ़ा लिखा कर बड़ा किया...
पर काम करने बाहर क्यों नहीं जा सकती मां..
शादी करके किसी के भी हाथ सोप देते हैं...
पर बाहर जाने के लिए क्यों पूछना पड़ता है मां...
हा माना तूने भी ऐसे ही जीवन कटा है....
पर तू अपनी बेटी के साथ भी वही कर रही हैं मां...
समाज में इज्जत बहुत जरूरी है...
पर तू क्या सोचती है अपनी बेटी के लिए वो जरूरी है मां...
चाहें तो लोग कुछ भी कह ले...
मुझे सिर्फ तेरी बातो से फर्क पड़ता है मां...
क्योंकि मुझे जन्म तूने दिया है किसी और ने नहीं मां....-
ना जाने किस कश्मकश मै फस गए हैं हम..
जीते जी ना जाने क्यों मर से गए हैं हम...
और दुनिया कहती है...
एक ही ज़िन्दगी है जी लो यारो ...
अब आप ही बताओ घुट घुट के कैसे इस ज़िन्दगी को जी ले हम...-
दिन गुजर जाता है...
रातों का क्या करें...
बड़ी धीरे चल रहे है...
यह घड़ी के कांटे...
बाकी बची इन सांसों का क्या करें...-
एक बीते लम्हे सी याद हो गई...
मेरी फकत मोहब्बत भी लाचार हो गई...
और जो कहते थे की मार जायेगे तुम्हारे बिना...
ना जाने उनकी उमर की दुआ कौन कर रहा है...
हम तो बस उनको याद करके मर रहे है...
ना जाने उनके साथ सासें कौन भर रहा है....-
पापा
इस कठोर दुनिया में ,कठोर बनके कैसे जीना है,यह सीखते थे ,पापा...
फूल हो पर काटो के साथ भी कैसे खिलाना है यह बताते थे, पापा...
हमेशा सब अच्छा नहीं रहेगा ...यही डाट लगा कर समझते थे , पापा...
एक बाप की तरह हर कोई तुम्हे लाढ़ प्यार नहीं देगा इसलिए सब काम करना खुद सीखा गए पापा...
सब कुछ हमारे हाथ में नहीं है...
पर जो है ,उसको काबू में कैसे करना है...
यह बता गए पापा...
अपनी इस ज़िन्दगी की जंग में ...
खुद अकेले ही लड़ना है ...
यह जंग लड़ना भी सीखा गए पापा...-
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THEME:- memories of childhood-
हा माना मै सुंदर नहीं हूं...
पर किसी का दिल नहीं दुखा सकती हूं मै...
हा माना गोरी नहीं हूं मै...
पर मेरा दिल में किसी के लिए कोई पाप भी नहीं है..
हा माना लंबी नहीं हूं मै...
पर छोटी छोटी बातो से ही खुश हो जाती हु मै..
हा माना मीठी बोली नहीं है मेरी...
पर याकीन मानो..
किसी के साथ दो पल बिता कर भी उसका दिल लुभा लेती हूं मै...
हा माना कामयाब नहीं हूं मै...
पर अपने हिस्से का खाना अक्सर किसी और को खिला देती हूं मै...
हा माना मै सुंदर नहीं हूं..
पर अक्सर दूसरो के आंसू देख कर रो जाती हूं मै...-
Har raat naya afsana hota h..
Mera har pal tere yadd mei dewana hota h..
Najane kya kami rha gye mere mohobbat mei..
Jo mere lakh chane pr bhi to kisi or ka dewana hota h
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सीता....
राम जी की मा को अपना मन के ...
१४ साल का वनवास भी काट दिया...
परिस्थिति जेसी भी थी ..
हमेशा अपने पति का साथ दिया..
मार जाना मंजूर था उन्हें ..
पर किसी पराए मर्द को ना हाथ लगने दिया...
वो देवी स्वरूप सीता ने ...
राम जी के साथ मिलकर हर परेशानी को पर किया...
आज के काल की स्त्री...
जो सास को नोकर बना कर खुद रानी बनना चहतीं है...
खुद के भाई की पत्नी उनके मा बाप का अच्छे से खयाल रखे..
और खुद अपने सास ससुर को व्रध आश्रम छुड़वा अती है...
यह तवायफ को भी अपने बच्चों के खातिर नीलम करना पड़ता है..
और यह आज कल की मॉर्डन नारी...
अमीर लड़का देख कर उसको फसती है..
फिर पैसे निकलवाने के लिए बलात्कार जैसे आरोप लगती है...
स्त्री हो स्त्री के जैसी ही रहो...बराबरी करने के लिए अच्छे काम करो ना की..गिरी हुई हरकत करो..-