एक दिन ऐसा था कोई कीसी को नहीं जानते थे,
फिर भी हम एक क्लास में बेठते थे॥
फिर शुरू हुई हमारी पढने की जिम्मेदारी
ओर टीचर्स की पढ़ाने की
जो कि दिमाग के उपर से जाता था,
वक्त के साथ साथ सब समझ आने लगा
जो भी डर था हिम्मत में बदने लगा
जब आए थे यहाँ पहली बार आखों में डर था,
आसु भी थे ओर आज भी है,
शायद इसलिए है कि जो पल मेंने यहाँ आप सभी के साथ बिताये है उसे में वापस नहीं ला सकती ॥
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