एक ही गलती मैं.......बार बार कर रहा हूँ ,
आज कल ईक बेवफ़ा से प्यार कर रहा हूँ ,
अब तो हर शख्स जानता है अधूरेपन को मेरे ,
आज भी पागल मैं उसका इंतज़ार कर रहा हूँ ,
समझ तो चुका हूं दर्द ए लहजा इश्क़ का उनके ,
फिर भी मानने से...........मैं इन्कार कर रहा हूँ ,
मुश्किलों से बिती हैं.....खुशी कि दो शाम मेरी ,
और फिर ईक बार मैं दर्द से दिदार कर रहा हूँ ,
खो जाऊँ मैं ईक रोज......इस जद्दोजहद में ,
तभी तो आज भी उससे मैं प्यार कर रहा हूँ ।।-
उन्हें हक था जिन्दगी में हमसे बेहतर पाने का~~
ये किसने बना दिया रिवाज दिल का रिश्ता अपनाने का~~-
जब भी बात मौत कि होती है~
हर कहीं मोहब्बत जाग जाती है
ये दुनिया है जनाब~यहाँ
जिन्दा इंसानों कि फिक्र नहीं कि जाती है।।-
ये बेजान मतलब की दुनिया है साहब~~~
ये शख्सीयत कम और शौक ज्यादा रखती है।।
-
शहर खामोशीयों का इक नया अंदाज़ लाया है,
मोहब्बत से वाकिफ़ तुम नहीं सामने ये राज आया है।।
चलो देखें हम भी~~~~~~~ये क्या बात है आखिर,
मिलन अौर जुदाई का~~~~~~नया अंदाज़ आया है।।
कि वाकिफ़ तुम भी हो मेरी~~~~खामोश आँखों से,
मिलके भी तेरा ना मिलना~~~नया आगाज़ लाया है।।
कि चाहत में तेरी हम~~~~~~~~हर रात जगते थे,
कहीं फिर से नहीं तो~~~~~~~~वही रात आया है।।
बहोत खूबशुरत थें~~~~~~~~~~तेरे-मेरे वो लम्हें,
कि दिल फिर से उन्हीं लम्हों~~~~~कि याद लाया है।।
क्या कहूँ मैं बस गया~~~~अब हर साँस में उनके,
स्वयंभू तेरे दिल से~~~~आज ये आवाज आया है।।
श्रस्व...-
इक तो यु हि हम हर नजरों में बदनाम ठहरे
अौर अब तो आशिकी से भी नाम जुड़ गया।।-
जो लोग अक्सर गलती ना करने कि मश़वरा देते है
अक्सर हर गलतियों में पहले हाथ उन्हीं के होते है ।।-
माना कि मेरे हालात ना मंजूर है इस वक्त
पर एक दौर होगा जब वक्त को मंजूरी हम देंगे।-
अावो इस कदर इक दुजे में हम बस जाए
कि हवाएं मुझे छुएें एहसास तुझे हो जाए ।।
श्रस्व............-