खुद से ही बातें कर अक्सर
बेवजह मुस्कुरा लेती हूँ,
परेशानियाँ बता उसे सुलझा लेती हूँ,
अपनी पसंदीदा गीत पर
यूँ ही थिरक लेती हूँ,
नहीं तलाशती मैं किसी को
चाय के साथ तारों से बतिया लेती हूँ,
अपनी शिकायतें डायरी में
बयाँ कर लेती हूँ,
आईने में देख अपनी तारीफ किया करती हूँ,
बस ऐसे ही मैं खुद के साथ कुछ
वक़्त गुजार लेती हूँ,
खुद के लिए भी प्यार जता लेती हूँ...
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