Ye Pro era hai ...e-galib yaha dimak bhi maramat pe kaside sunati hai
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मतलबी ज़माना हैं नफरतों का दौर है.....
क्योंकी ये दुनिया दिखती तो शहद है पर पिलाती जहर है-
बड़ा मासूम था बचपन हमेशा जवानी के लिए आकर्षित होता रहा ....जब जिम्मेदारियां चहरे की झुरियो में उतरने लगी तो खुशनुमा कसीदे वो बचपन के पढ़ता रहा....।
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Na! Ulajh mere vajud mein itna mein ghalib ki rumaniyat aapne jasbato mein rakhti hu
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भारत की महानता पर यकीन तोह आज भी है...
पर फर्क सिर्फ इतना है यहां खाली पेट वाले झंडे बेच रहे है .....ओर भरे पेट वाले देश-
Jab meri kashti sabit-o-salim thi toh
Sahil ki tamanna kisse thi ....!!
Or ab es shakishta kashti mein Shail ki
Tamanna ....kon kre-
We may be young or old ,
But we must be bold
Against the enemy untold
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समुंदर की लहरों सा उसकी आंखो में नूर है ...
दुनिया के लिए कितना ख़ास है अंदाजा ,नहीं
पर मेरे दिल के शहर में तो मशहूर है..।-
कब्र से गहरा होता है...
सब्र स्त्री का...।
और अग्नि से अधिक ताप समेटे है
क्रोध स्त्री का...।-