लम्हे देकर
जिंदगी ले गया।-
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ये रुठने-मनाने का सिलसिला भी कमाल का रहा
तुम रुठते रहे और हम मनाते.
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बातें हजार करनी हैं
सारी तुम्हारे साथ करनी हैं
मैं रूठुं तुम मनाओ
ऐसी वादें बार-बार सुन्नी हैं।
कदमें हजार चलनी है
सारी तुम्हारे साथ चलनी हैं
मैं गीरुं तुम संभालो
ऐसी गलतियां बार-बार करनी है।
लम्हे हजार जीनी है
सारी तुम्हारे साथ जीनी हैं
तुम बैठो मै तुम्हे देखती रहूं
ऐसे पल बार-बार बुन्नी हैं।-
मुझे हसाए कई
मैं रूठूं तो मनाए कई
पर गमों में भी मेरे लबों पर जो हंसी लाए
वो तुझ जैसी बात किसी में नही।-
मेरे हर ज़ख्म की दवा तुम हो
मेरे हर बात की वजह तुम हो
मैं ये दिन बिताती हूं बस तुम्हे सोच कर
मेरे हर लिबास की अदा तुम हो।-
ये लफ़्ज जो मेरे रुठ गये हैं
अब इन्हे तुम याद आते नही
तुम जो रुठे तो मैं तुम्हें अब मनाऊं कैसे
अब इन्हे वो किस्से याद आते नही।-
सुनो,
तुम्हे अपना दिल दुखाने कि जरुरत नही;
हम खफा तो हैं.....
पर तुम्हे सज़ा देने का हमारा कोई इरादा नही।-
बहुत देखे थे सपने हमने
जो अब टूट गए तो टूटा ही रहने दो।
बहुत निभाए थे रिश्ते हमने
जो अब छूट गए तो छूटा ही रहने दो।
बड़ी मुश्किल से हुआ है ये दिल पत्थर का।
तो गर कुछ गलतफहमियां हुईं हैं,
तो उन गलतफहमियों को भी
अब गलतफहमियां ही रहने दो।-
Is dard me dubi zindagi
ka koi toh hal ho,
Aas-pass to bhut log hain
Par tujh sang bitaa sakun
Aisa koi to pal ho.-