ये बारिश..... ठंडी हवाएं.... गहराती रात..
और इन सबके बीच सबसे बेखबर बैठी वो...
शायद इंतज़ार कर रही है... किसी के आने का??
या किसी के फोन का?? शायद फोन का ही......
आह! ये प्रेम... मन के ये मादक उमंग....
जिसे लग जाए...
फिर क्या गर्मी... क्या रात..
क्या जाड़ा क्या बरसात....
अरे ये क्या... वो उदास क्युं है??
अब समझ आया बाहर ये बरसात क्युं है!
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कभी एक दोस्त तो कभी मतलबी हूं मैं ।
इश्क और जज्बतों ... read more
बड़ी आसानी से उसे बहकाया गया ..!!
बचपन से उसे ये बताया गया..
जाना है किसी और घर में तुम्हें..
लेके सूरत और सीरत तुम्हारी यही.. करना है प्रदलित उसी घर मे तुम्हें..
यही कहके उसे समझाया गया...
बड़ी आसानी से उसे बहकाया गया..!!
बीती उमर बीते कुछ चलन...
अब तो होने चली वो प्रेम मे मगन..
हर किसी ने प्रीत का प्रखंडन किया..
चीत्कार उठा मन, दिल क्रंदन किया..
फिर सपनों का प्रलोभन दिलाया गया..
बड़ी आसानी से उसे बहकाया गया..!!
अब तो है वो आई पिया सदन मे..
सपनो के उस आंगन मोहक भवन में..
पर यहां हँसना खिलखिलाना नहीं..
खुल के सिसकियां भी सुनाना नहीं..
घर की इज्जत यही है बतलाया गया..
बड़ी आसानी से उसे बहकाया गया..!!-
दुनिया के सबसे खूबसूरत स्त्री के आंखों मे नहीं होता काजल, सूरमा,मस्कारा या लज्जा...
उसके आंखो मे होती है आत्मविश्वास, स्वाभिमान, पीड़ा, आक्रोश, प्रतिशोध, नफरत और प्रेम...
जिनमें डूब सकता है संपूर्ण ब्रम्हांड..!!-
दुनिया मे कुछ ऐसे लोग होते हैं जिनसे हम कभी डील नहीं कर सकते..
ना चुप रहकर.. ना समझाकर.. ना प्यार से बात करके.. ना शिकायत करके..
बस हम अपना मेंटल हेल्थ डाउन करते हैं..
सच मे कुछ लोग अजीब होते हैं.. जिन्होने मान लिया है कि आप गलत हो.. फिर आप उनकी राय कभी नहीं बदल सकते...-
बहुत भोले कहे जाने वालों की
कुटिलता देखी है मैंने
बहुत सीधे कहे जाने वालों की भी
चलाकियाँ देखी है मैंने
छल और कपट चेहरे पर ओढ़े घूमते हैं
बहुत सच्चाई की मूरतों का भी
प्रत्यक्ष फरेब देखा है मैंने
देखा है मैंने लूटाकर हृदय किसी पर
बदले में मिलने वाला बस अपयश झेला है मैंने
देखा है मैंने कलयुग अपनी खुली आंखो से
अपनो की लाशों पर अपनों को घर बसाते देखा है मैंने
देखा हैं मैंने हर वक़्त बदलते लोगों को
बहुत अच्छे लोगों का भी विषैला हृदय देखा है मैंने
ठीक है कहो... जिसे जो कहना हो मुझे..
सब सुनकर भी मैं ना बदलू..
बस ये देखना है मुझे...
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कभी मौसम जो बदला और बदले सब रैना..
कभी टूटे सपने तो झर झर बहे नयना.. कभी यूँ ही बसंती मन कोयल हो जाए...
कभी दुविधा सब ओझल हो जाए..-
कभी राते लंबी, तो कभी बेजान दोपहरी,
कभी शामें अकेली, तो कभी सुबह भारी..
कभी भरा-भरा सा, तो कभी शून्य सा खाली,
कभी स्वयं में उत्तर, तो कभी खुद ही सवाली..
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तारीफ-ए-काबिल हैं तेरी कोशिशें भी ऐ जिन्दगी...!
तुझसे मिले हर जख्म की मै खुद बन गयी दवाई हूँ..!
कल तक नाज था मुझको जिन यारों के यारानी का..!
लगा ऐसा,इन गलियों में, अजनबी मै परायी हूं..!
की मुबारक दो यहां मुझको.. मै फिर से आज बदली हूं...
की जरूरत से सुलह करके,मोहब्बत बेच आई हूं...!
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ये जो दिल से जुड़े रिश्तों मे लोग दिमाग लगाते हैं ना....
ऐसे लोग दिल से उतरते हैं तो फिर बस उतर ही जाते हैं... 🙏-