Swati Singh   (✍️स्वाती सिंह"रूहानी")
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Joined 11 September 2017


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27 MAY AT 19:20

प्यार मांगता है पूर्ण समर्पण
मन रखना होता है जैसे दर्पण
तन मन धन या कह दूँ सर्वस्व
करना होता है सब कुछ अर्पण

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19 MAY 2024 AT 11:49


निकल सपनों के नगर से
मन के गलियारे में
हकीकत से रूबरू हुई
पकड़ शब्दों की उंगली
भावनाओ को उकेरती
कहे अनकहे लफ्जों
को बस यूं ही समेटती
अर्से बाद खुद से मिली

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19 MAY 2024 AT 11:36

हम इंतजार का दामन पकड़े बैठे रहे वर्षो तक
तुम जहमत भी न उठाए उलझे धागे सुलझाने की

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29 MAR 2024 AT 3:27

नींद न आने का
मलाल कैसा होता है
कोई उनसे पूछे
जिनके न कोई
आस - पास हो
न किसे से कोई
बात हो
मन में हज़ारों
सवाल हो
जिसका कोई न
ज़वाब हो
आसमां के नीचे
तारो के साथ
गुजरी पूरी रात हो

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10 MAR 2024 AT 22:11

लगा अपने अक्स
को गले से खुद को
मैं समझा लेती हूं

तुझसे मिले दर्द
को भर बाहों में
मैं बहला लेती हूं

ग़म से ढह रहे हैं
ख्वाबों के महल
मैं बना लेती हूं

नयी तमन्नाओं से
ख्वाबों का आशियां
बारम्बार सजा लेती हूं

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9 MAR 2024 AT 0:03


*गृहणी*

किस्मत की बाजियों पर इख्तियार नहीं है
हम गृहणी हैं हमारे हिस्से में इतवार नहीं है

हमारे नित किए कामों की वाह वाह नहीं है
ख्याल रखते सबका, अपनी परवाह नहीं है

हमारे अपने कोई भी सपने साकार नहीं है
घंटों करते काम हमारी कोई पगार नहीं है

चूल्हे चौके में सिमटी जिंदगी आसान नहीं है
कर्तव्य के बोझ तले हमारी पहचान नहीं है

जीवन के सफर में हमारा आसमान नहीं है
हम गृहणी हैं हमारा कोई सम्मान नहीं है

अविराम गतिमान गृहिणी का आधार नहीं है
हम गृहणी हैं हमारे हिस्से में इतवार नहीं है

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3 MAR 2024 AT 20:54

*व्यथित मन की कल्पना मात्र*

जब सीने में दर्द तुम्हारे आया होगा
तब तुमने करुण पुकार लगाया होगा

आँखों के सामने अंधेरा छाया होगा
तुम्हारा मन भी जोर से घबराया होगा

उठा नज़रे तुमने मुझे तलाशा होगा
मुझे न पाकर खूब अश्क बहाया होगा

पुरजोर समर्थ से आवाज लगाया होगा
तुमने बहुत कुछ कहना चाहा होगा

तुम्हें लेने ऊपर से यमराज आया होगा
तुमने किसी बहाने से हाथ छुड़ाया होगा

आखिरी वक्त तुम्हें बेटा याद आया होगा
तब दिल तुम्हारा जोर से छटपटाया होगा

तुमने वक्त से कोई मोहलत न पाया होगा
तब धीरे - धीरे तुमने हाथ बढ़ाया होगा

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23 FEB 2024 AT 8:31

Read in caption

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6 FEB 2024 AT 23:47

भरी अंजुमन में अश्क छुपाना आता
काश, हमे खुलकर मुस्कुराना आता

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29 NOV 2023 AT 18:20

उसने तोहफ़े में मुझे घड़ी देकर मेरा
सारा वक्त अपने इश्क से बाँध लिया

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