Kaise aur kisko samjhau ? Koi mile jise sab batlau ...itna khamosh ho gya hai mann , aa baeth mere sath tujhko khamoshi sunau
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Kya kahu ? Kya likhu ? Shabbd kahi hain mil rahe nahi ..bahaut ajeeb hai ye uljhan.. bdalna nahi hai khud ko, pr pehle jaisi reh sakti nahi.
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कभी कभी तन्हाई आपको आपसे मिला देती है
छूट गया था जो पीछे कभी कहीं , उसको ला देती है ।
कभी कभी तन्हाई आपको आपसे मिला देती है
बेवक्त भी दूसरों के लिए करता-सोचता था जो उसको वक़्त की एहमियत बता देती है ।
कभी कभी तन्हाई आपको आपसे मिला देती है
दुनिया के शोर में जो आवाज़ ना सुनाई देती थी अपनी वो सुना देती है ..कभी कभी तन्हाई आपको आपसे मिला देती है ।
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देखो ना एक तरफ तुमको भूलकर , दूसरी तरफ तुम्हारी ही फिक्र लिख रही हूं।
जिक्र नहीं करूंगी तुम्हारा किसी से कहती हूं ,फिर तुमको राजा हमारी कहानी का और खुद को काफिर लिख रही हूं।-
देखो बात ऐसी है कि अब ख्वाहिश है नहीं कोई बाकी , हां बहुत ख्वाहिशें हुआ करती थी कभी ..ज़िन्दगी से रोज मांगते थे कि ये चाहिए वो चाहिए , मगर सच ही है कि ज़िन्दगी कुछ और देने से पहले सबब दिया करती है। सबब ज़िन्दगी में मिली हुई चीज़ों को संभालकर जीने का , सबब जो ज़िन्दगी में है उनके लिए जीने का ..!
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जरूरत नहीं मुझे , हां जरूरत तो नहीं मुझे यूं याद कर तुझे आंसू बहाऊं मै .. तुझसे बिछड़ना बहुत दर्द देता है मुझे ये तुझको बताऊं ।
जरूरत नहीं मुझे तेरी यादों में अपना दिन बिताऊ , तेरे लिए अपनी वफा पे यूं पछताऊं ।
की अब और जरूरत नहीं मुझे बेचैन होने की , तेरी तरह मेरी भी तो ज़िन्दगी है क्यों नहीं मै हसू , गाऊ और खूब खिल खिलाऊं।-
बात बढ़ाना ठीक नहीं अब जब तुम जा चुके हो वरना कहना था तुमसे की इस वक़्त सबसे ज्यादा जरूरत तुम्हारी थी मुझको।
बात बढ़ाना ठीक नहीं अब वरना बतलाती तुमसे सबसे लड़ रही थी मै तो सिर्फ तुम्हारे लिए ।
बात बढ़ाना ठीक नहीं अब वरना देखते तुम मुझे जीतते हुए जो लड़ाई लड़ रही थी मै अपनों से तुम्हारे लिए।
बात बढ़ाना ठीक नहीं अब की अच्छा ही किया जो चले गए तुम मेरे हाल पे मुझे छोड़ तुमको जीत लिया होता तो खुद को खो देती कहीं ।
की बात बढ़ाना अब ठीक नहीं तुम जहां हो वहीं सही , यूं छोड़कर जाना जैसे मुझपर किसी की कृपा हुई ।-
Mera mayar nahi milta
Mai avara nahi firti
Mujhe sochkar khona
Mai dubara nahi milti ..!-