Swati Kumari   (Swati)
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Joined 5 April 2018


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26 JUN AT 22:39

हम नज़र उठा कर,
नज़र भर भी उन्हें देख न सके।
वो हमारा हाथ थामे,
किसी और चेहरे का नज़ारा दिखा गए।

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26 JUN AT 21:17

हम नज़र उठा कर,
नज़र भर भी उन्हें देख न सके।
वो हमारा हाथ थामे,
किसी और चेहरे का नज़ारा दिखा गए।

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19 FEB AT 23:09

कि वो तेरी ज़िंदगी का आतिफ़ हो जाए,
सर-ए-आलम ये बात भी जाहिर हो जाए,
तू जो ‌उसका नाम पुकारे ख्यालों में भी तो,
सारे जहान में ख़ुदा के नाम का ज़िक्र हो जाए।।।

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14 FEB 2022 AT 18:20

कुछ रस्तों का सफर ही उनका अंजाम होता है
दरिया का सागर से मिलना ,हर बार नही आम होता है।। — % &

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11 AUG 2021 AT 17:59

कभी तेरे साथ खवाब देखे थे,
अब तो सिर्फ तेरे सपने देख सकते हैं।।।

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21 APR 2021 AT 6:50

उस रात की कंपन थी
शूरवीरों का गर्जन था,
केशों में लिपटे शर्प थे,
आँधी का ताँडव था,
यज्ञ की यज्ञासेनी थी वो,
पाँडवों कि पटरानी थी,
द्रूपद कि राजदुलारी,
राज़सुखों की कुमारी थी,
कृष्णा ने माना था बहन जिसे,
ऐसी महारानी थी,
पितामह, द्रोण वंदनीय थे,
आज रात निंदनीय थे,
धृतराष्ट्र का मौन था,
कौरवों का विध्वंस था,
कुरु वंश का श्राप था,
आज रात का उसका जीवन था,
द्रौपदी का चीरहरण था|||

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15 AUG 2018 AT 19:45

वीरगाथा

नाम कमाने कि दौड़ में शामिल जहाँ हैं लोग,
देश को खुशहाली दिलाने में मग्न हैं वो लोग,
रूप से आँकें जाते हैं जहाँ लोग,
दिल कि आवाज़ सुन मौत कि तपिश को आँकते हैं वो लोग,
अपनी गाथा सुनाने में हैं जहाँ लोग,
अपनी गाथा जाने-अजाने सुना जाते हैं वो लोग,
देश कि मिट्टी को बेच देशभक्ति कुर्बान करते हैं जहाँ लोग,
देशभक्ति के लिए देश कि मिट्टी में खुद को खुर्बान करते हैं वो लोग।।।

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10 SEP 2021 AT 17:24

वो रास्ता ही बेगाना था,,
हम बेवकूफ थे जो अपना बने जा रहे थे।।।

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25 JUL 2021 AT 8:40

रुसवाइयों का ऐसा आलम दे गए,
वो हमे हमारी ही गली में बदनाम कर गए।।।

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24 JUN 2021 AT 20:24

कुछ देर सबेर सी हो रही है तुझे वापिस आने में
कुछ सुबह शाम रात सी लग रही है तुझे भूले जाने में।।

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