आज कुछ लिखती हूँ,
गुजरे लम्हें को कोरे कागज़ पे भरती हूँ।।
आज कुछ लिखती हूँ,
अपने टूटे हुए ख्वाबों का एक हिस्सा आज बयाँ करती हूँ।
आज कुछ लिखती हूँ,
खुलकर हँस नहीं सकती तो क्या हुआ,मुस्कुरा तो सकती हूँ।
आज कुछ लिखती हूँ,
टूटे हुए दिल को फिर से जोड़ने कि कोशिश करती हूँ।
आज कुछ लिखती हूँ।,
क्या हुआ अपने, अपने ना रहे आज खुद से ही बात करती हूँ।
आज कुछ लिखती हूँ,
आज हलचल ना सही मौन ही रहती हूँ।
आज कुछ लिखती हूँ।।
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