सूख जाते हैं आँसू अकसर,
आँखें पथरा जाती हैं,
दुख दिल को बेधता है इस कदर
कि धड़कने भीग जाती हैं।
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रूकिये अगर पसंद आये मेरे शब्द
वरना बिन ठहरे ही निकल जायिये...... read more
एक माँ हूँ मैं,
दो बेटियाँ है मेरी,
मेरा प्यार, मेरा अभिमान,
कम शब्दों मे कहूँ तो मेरी जान।
एक मेरे सम्मान को बढ़ाती है,
दूसरी अपनी नटखट अदाओं से मुझे लुभाती है,
बहुत खुश हूँ मैं कि..
दो बेटियाँ है मेरी।
फिर भी कुछ सुझाव स्वयं ही चले आते हैं,
कि एक बेटा और कर लो,
क्योंकि बेटे वंश को आगे बढ़ाते हैं,
बेटा तुम्हारे बुढ़ापे की लाठी बनेगा,
वरना बिन बेटे के जीवन बड़ा भारी पडे़गा,
सोच कर उनकी बातों को बहुत हँसी आती है,
कि जमाना कितना भी बदल गया,
पर लोगों की सोच को ना बदल पाया,
बेटियाँ तो ठीक है,पर एक बेटा जरुर होना चाहिए
यह सोच , ये फितूर दिमाग से ना निकाल पाया,
ऐसे लोगों से सिर्फ इतना ही कहना चाहूँगी कि
सोच बदलो...
क्योंकि बहुत ही खुश हूँ मैं कि
दो बेटियाँ हैं मेरी़।
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जरूरत नहीं होती कई बार
दस्तावेजों की..
कभी-कभी तलाक
दिल से भी हो जाते हैं...-
दिल हमेशा टूटता नहीं हैं,
पड़ जाती हैं कभी-कभी
बिवाईयाँ उस पर,
जो रिसती हैं
हर धड़कन के साथ....
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"दोस्त" कहे जाना वाला हर " दोस्त", " दोस्त नहीं होता",
मैंने देखा है कईंयों को दिल दुखाते हुए।-
"अपने दिमाग के तारों को इस कदर जोड़कर रखो कि अगर उसे कोई छेड़ने की कोशिश करे तो उसे करंट लग जाये और तुम्हारा दिमाग पूरी तरह से सुरक्षित रहे।"
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