मैं न जाने कहां और किस डगर में हूं
सफ़र छूट चुका है पर सफ़र के असर में हूं
अलगाई का फैसला तो कबका ले लिया
फिर अब क्यों इस अगर-मगर में हूं
किनारे पर खड़े रहने वाले यह सुन ले
मैं खुदा के फ़ज़ल से डूबा नहीं हूं अधर में हूं
एक वहीं है जो मेरे सूरत-ए-हाल से है रूबरू
मैं बहुत दिनों से आईने की नज़र में हूं
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जब भी दिल ग़म से भर आता है
लफ़्ज़ काग़ज़ पर उतर आता है
मेरी तन्हाई देखकर अक्सर
चांद खिड़की पर उतर आता है
दर्द है तो ग़नीमत जानो
इस बहाने खुदा याद तो आता है
जिसने हमें नींद से बेअसर किया
वो क्या मुंह लेकर ख्वाबों में आता है
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वो दोस्त भी हिसाब मांगने लग गया
जो कभी बेहिसाब दोस्ती रखता था
वो हमें अपने मयार का नहीं समझता
जो कभी इतना अपना समझता था
वो भी थोथा बादल क्वार का बन गया
जो कभी सावन की तरह बरसता था
वो गिरगिट से रंग लेकर पहनने लग गया
जो कभी सफेद रंग में बहुत जंचता था
वो भी बहाने बनाना सीख गया
जो बहाने-बहाने से बात करता था
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तुम बारिश के लिए तरसोगे
कटता जंगल कहता था
जिस आंगन में तूने मिट्टी डाली
वहीं से तो दरिया बहता था
अब तो दो बूंदो में भी मौज है उसकी
जो पहले बारिशों में भी प्यासा रहता था
उसके जाने से यह दिल ख़ामोश हो गया
जिसके होने से इतना शोर रहता था
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जो आंखों में आंखों कटी मत पूछो वो रात कैसी थी
जो ज़हर की तरह निगली मत पूछो वो बात कैसी थी
बस हाथ में दिल पकड़कर भाग आए उसके शहर से
जो पहली से आखिरी बनी मत पूछो वो मुलाकात कैसी थी
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एक अरसे से आवाज़ लगा रहें थे
नाम ले-लेकर बुला रहें थें
जब मायूसी से जाने लगे
तो मैंने उन्हें कलम से थामकर
काग़ज़ पर उड़ेल दिया
अब इससे पहले लफ़्ज़ कोई इल्ज़ाम लगाते
मैंने ही बोल दिया कि तुम्हें किसने कहा
मैंने लिखना छोड़ दिया
हां बताओ किसने कहा कि
लिखना छोड़ दिया!??!
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धुर दरगाह हो लिखिया
कोई नहीं सकदा टाल
जिस रब ने दुनिया साजी ऐ
उसते कादे सवाल!!
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रब की मोहब्बत के सिवा
हर मोहब्बत पर सवाल
फिर वो सबकुछ दिखाकर
आदमी से कहता है
अब बता,
तेरा मेरे सिवा
कौन है!!?!
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This Monsoon Taste the Bitter Romance...
Read: फटीचर आशिक: इश्क़ की तबाही की कहानी।।।
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