Swati Chourasia   (Swati Chourasia)
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Joined 2 November 2020


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Joined 2 November 2020
1 JAN 2022 AT 0:19

नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏

नया साल लेकर आए ऐसा सौगात,
जीवन की हर खुशियाँ हो आपके पास।
खिलते रहे आपके होंठों पर सदा मुस्कान,
आपके लिए बस यही दुआ है आज मेरे पास।

🖋️स्वाती चौरसिया

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3 DEC 2021 AT 16:38

की आज खुद से ही अनभिज्ञ हो गए हम
जाने किन रास्तो में खो गए हम
की खुद से ही जुदा हो गए हम

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16 JUL 2021 AT 21:51

"ऐ हवा"

ऐ हवा हो सके तो,
मेरे आंसुओं की खबर,
तू उन तक पहुँचा देना।

मेरे दिल के जज़्बात,
तू उन्हें सुना देना।

हाल जो भी है मेरा,
जाके हूबहू तू उन्हें बता देना।

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14 JUL 2021 AT 21:00

"धोखा प्यार का"

मेरे मन को जीत लिया,
फिर धोखे का खेल किया,
मैंनें तो अपना सब कुछ वार दिया,
तुझपे दिल ये अपना निसार किया।

जाने फिर क्यों तूने ऐसा काम किया,
मेरे प्यार को बदनाम किया,
प्यार का लिवाज ओढ़ कर,
धोखे से दिल मेरा तोड़ दिया।

सब कुछ जान कर भी,
मैं अनजान रही,
शायद तेरा दिल पिघल जाएं,
और तू मेरा बस मेरा हो जाएं।

मेरे सच्चे प्यार का,
एहसास तुझे हो जाएं,
और लौट कर तू मेरे पास आए,
इस इंतज़ार में मैंनें अपना ज़िन्दगी गुजार दिया।


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27 JUN 2021 AT 16:17

जो आपको आपकी सच्चाई दिखाए।

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23 JUN 2021 AT 20:18

"जीवन यात्रा"

जीवन यात्रा चलती है,
सांसों की डोरी के बीच ढलती है,
हँसाती भी है रुलाती भी है,
खुशियों के बीच लहराती भी है,
कभी दुःखो के सागर में डुबोती भी है।

जीवन यात्रा चलती है,
जीवन के थपेड़ों पर पलती है,
संघर्षों के राहो से गुजरती है,
मुश्किलों से लड़ते हुए हर रास्ते को पार करती है,
तब जाके किसी मंज़िल पर पहुँचती है।

जीवन यात्रा चलती है,
सांसो की डोरी के बीच ढलती है,
जीवन यात्रा चलती है,
हां जीवन यात्रा चलती है।

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22 JUN 2021 AT 21:18

"पहचान"

पहचान लोग पहचान पूछते है,
कभी पहचान बताते है,
कौन हो तुम,
जानते नहीं मैं कौन हूं।

पहले खुद को तो पहचान लो,
क्यों है इतना अभिमान जान लो,
कोई किसी से बड़ा या छोटा नहीं होता,
सब है उस विधाता के वन्दे ये मान लो।

मत करो इतना अभिमान,
सच्चाई को जान लो,
एक दिन सब यहीं रह जायेगा,
और तू खाली हाथ ही ऊपर जाएगा,
इस सच्चाई को मान लो।

इसलिए मत करो किसी बात का गुमान,
अपने आत्मा की सच्चाई को जान लो,
और उस परमपिता परमात्मा की सत्यता को जान लो।

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21 JUN 2021 AT 22:11

"दस्तक"

जाने ये कैसी दस्तक है,
ज़िन्दगी के इस मोड़ पर भी इम्तिहां जारी है,
समझ नहीं आता खुश हो जाऊं या दुखी।

पहले अपने ज़िन्दगी के लिए लड़ी,
फिर नया जीवन जैसे मैंने पाया,
और अभी भी अपने जीवन के लिए संघर्ष जारी है,
फिर भी जीवन में ये कैसी दस्तक आई है।

शायद इम्तिहानों का सिलसिला अभी चलना है,
और इस दस्तक से अभी मुझे लड़ना है,
खैर डर किस बात की,
हौसला अपना बुलंद है,
ऊपर वाला अपने संग है।

हो जाएगा सब ठीक,
ये उम्मीद मेरे संग है,
खुश हूं इस बात से,
वक़्त पर सब पता चल गया।

अब तो बस कर्म अपना कर,
सब कुछ ठीक करना है,
इस दस्तक से लड़,
जीवन में आगे बढ़ना है।

जीत अपनी ही होगी,
क्योंकि मेरे संग,
ऊपर वाले का आशिर्वाद है,
और हौसला भी अपना बुलंद है।

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20 JUN 2021 AT 20:36

"पिता"

पिता कैसे लिखू पिता के बारे में,
माँ और पिता ये दो ऐसे शीर्षक है,
जिस पर लिखना थोड़ा मुश्किल लगता है,
जब भी लिखने बैठु शब्द ही जैसे गुम हो जाते है।

माँ और पिता दोनों ही जीवन में अनमोल है,
इन दोनों का कोई तोल नहीं है,
माँ जान है तो पिता सान है,
माँ कोमल है,तो पिता सख्त है।

माँ से मिला प्यार बेशूमार है,
तो पिता से मिला हिम्मत आपार है,
माँ घर की सीतल छाया है,
तो पिता के रूप में ,
बरगद सा खड़ा रक्षक हमने पाया है।

पिता वो साया है,
जिसके होने से जीवन जगमगाया है,
और माँ वो छाया है जिससे,
घर में खुशियों का उजियाला है।

पिता वो छाया है,
जिससे सिर पर छत का साया है,
माँ हर छोटी बड़ी ख्वाहिशों का संसार है,
तो पिता हमारे सपने को,
साकार करने का आधार है।

माँ से घर का आधार है,
तो पिता घर का पालनहार है।

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17 JUN 2021 AT 19:17

"खामोशियाँ"

खामोशियों में क्यों गुम है,
ज़िन्दगी की हर एक सदा,
तेरी मुस्कुराहट तो है मेरे जीने की वजह।

पर ना जाने आज तू क्यों खामोश है,
थोड़े से बात पे यू मुझसे नाराज़ है,
दिल मायूस है,आँखे भी भर आई है,
अब तो बोल भी दो,ऐसी भी क्या रुसवाई है।

माना खता हुई मुझसे,
पर जनता तू भी मेरे दिल की सच्चाई है,
जो भी खता हुई मुझसे,
वो भी तुझसे मिलने के लिए ही हुई।

अब तो बोल भी दो,
वरना खामोशी में मैं गुम हो जाऊँगी,
और थोड़ा सा मुस्कुरा भी दो,
वरना जीने की वजह कहाँ से ढूंढ कर लाऊँगी।

तू ही तो है मेरे जीने की वजह,
तू जो रूठ गया तो फिर कैसे मुस्कुराऊगी,
अब तो मान भी जाओ,
वरना जीना ही भूल जाऊँगी।

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