Saansein chal rahi par dhadkane ruki hui si hai..
Zindagi beet rahi par use jeena thehra hua sa hai..
Neend ke aagosh mein smana chahu
Par sab sapne bikhre hue se hai...
Intzaar hai un lamhon ka
Par shayad chal rha yahi wo lamha hai...
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Copywrite ka ullanghan na kare... read more
ऐसे बरसे सावन की
रिश्तों पर जमे अविश्वास के धूल बह गए
सुने पड़े दिल के गुलिस्तां
नए सपनों के गुलों से भर गए-
भीड़ में मेरी नज़रें क्यों तुझे ही तलाशती है
एक बार तेरी नज़रों से टकरा जाये मेरी नज़रें
फिर पलकें उठाने में इतनी हिम्मत क्यों लगती है
दिल की धड़कनें बढ़ सी जाती है
डर समा जाता है कही कोई
धड़कनो की आवाज़ सुन ना ले
तेरी नज़रों से ओझल होना
और छुप कर तुझे तड़पते देखना
पता नही क्यों पर अच्छा लगता है
डरती हु पहल करने से
रहता है इंतज़ार तेरे पहल का
नज़रों की भाषा खूब समझती हूं
पर ना जाने क्यों तुमसे नज़रें ही चुरा लेती हूं।
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भले ही उसका जवाब ना में आया है
पर दिल से निकलती धड़कनो की रफ्तार ने और
उसकी गहरी निगाहों ने हाँ का ही एहसास कराया है
उसके होंठ ना कह रहे थे पर
फिर गहरी आंखें सैलाब से भरी क्यों थी
वो गुलाबी आंखों में तैरती कैसी बेबसी थी
जो मुझे बेचैन कर रही है
उसकी झुकती आंखों में मूक गुहार सी थी
उसकी ना में भी दर्द का एहसास था।
एक बार कहा तो होता
शायद रास्ता आसां होता।।-
आशिकों की फ़ेहरिस्त में अश्क़ ही अश्क़ लिखे हैं
सुकून आ जाये तो सांसें थम जाएं
बेचैन रहने में ही चैन की सांसें हैं।।-
बदलने की फितरत तो मौसम की भी होती है
ज़रूरी नही हर बदली फितरत सुहानी ही हो
कुछ ज़ख्मों से भी नवाज़ी गयी होतीं है।।
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