Swati   (Swati (Bindaas))
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Joined 22 May 2020


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8 JUL 2023 AT 18:02

हमराही हमनवां हमसफ़र नहीं
मग़र हम ख़्याल है

न हासिल वो ना हसरत उसकी
मग़र हम जुबान है

वह सब कुछ है पर मेरा कुछ भी नहीं

बस इतना ही काफी है 'बिंदास"
वह मेरा मरहम-ए-इंदीमाल है

"स्वाति बिंदास"



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12 DEC 2022 AT 11:46


ठंड ज्यादा होती है जिस दिन.... कि ठंड ज्यादा होती है जिस दिन.... हम नहाते नहीं है...💦💧😛😛😛
और डिलीट कर देते हैं वो पिक्चर
यारों...
के जिसमें हम मुस्कुराते नहीं है...

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25 JUL 2022 AT 15:42

नसीहतें औरों के हक़ रखेगा कब तक
कुछ तौर अपने हक़ भी रखा कर...

सामना इक रोज़ उससे होना तेरा भी तय है "बिंदास"

बड़ा फ़र्क है ज़मीं पर ख़ुदा बन के फिरने
और ख़ुदा होने में ...

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30 MAR 2022 AT 17:23


ज़िद कर बैठा है एक आंसू फिर आज
हमें मिटाने की कोशिशें ज़ारी हैं...
मुस्कुराकर हमने भी फिर... कर ली तैयारी है

अरे क्या खबर उस नमकीन पानी को...

के हारकर झुकती रही मेरे कदमों में
ये मुश्किलें सारी हैं
इस क़दर हज़ार ग़मों पर... मेरी एक हंसी भारी है

-Swati bindaas

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8 FEB 2022 AT 15:44

कर ही लिया फैसला उसने
बाकी सब दरकिनार कर दिया...
ठुकरा कर सोलह सिंगार आज
स्वाभिमान पहन लिया...— % &

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6 FEB 2022 AT 14:09

वक्त दर वक्त सोने के सिक्कों सी..
खनकती..खिलखिलाती..गुदगुदाती..सिहरती
दिल बच्चा बन रोए कभी तो..
लोरी बन कानों में बजती..
बन हौसला..कभी साथी..कभी आंसू.. कभी प्रेमी..
अनकहे एहसासात को गीतों में पिरोती
दिलों में धड़कन सी धक धक धड़कती ...
कुछ आवाजें कभी नहीं मरती ...
— % &

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30 JAN 2022 AT 15:35

कैसे रहूं मुतमइन....
जो लग रहा है...है नहीं...
वो ख़फ़ा है इतना...
जैसे वो..अब वो नहीं
मिलता है मुझसे यूं ...
जैसे कुछ भी हुआ ही नही!!!— % &

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13 DEC 2021 AT 16:59

बड़े दिनों बाद मुझसे मेरा सुकून टकराया था
हां आज वह मुझसे मिलने आया था

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5 DEC 2021 AT 14:40

कुछ बातें ऐसी बनाई थीं हवा में
उस रोज़ साहेब उसने
के क्या कहें...
के उनके पांव तो पकड़े थे हमने कभी
आज भी ढ़ूढते फिर रहे हैं ...
मग़र नाकाम हैं
उन बातों के
धड़ अब भी गायब है....

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16 SEP 2021 AT 20:27

मुमकिन है कि बुझती आंखों में फिर चमक आ जाए
किसी मां के चौके में बड़े दिन बाद कुछ मीठा पकते देखा है

मुमकिन है कि सूखी शाख़ पर फिर पत्ते आएं
बड़े दिन बाद कुछ परिंदों को घर वापस लौटते देखा है

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