साथ ना आने की हजार वजहें भी कम है मेरे दोस्त...
साथ देना हो तो एक ही वजह काफ़ी है
और भीड़ में तो सिर्फ तमाशा बनता हैं
साथ सच्चा हो तो..
डूबते को तिनके का सहारा काफी है...🙂
Swati Bindaas-
द्वार खुला है, अंदर आओ..!
पर तनिक ठहरो..
*ड्योढी पर पड़े पायदान पर,*
*अपना अहं झाड़ ... read more
हमराही हमनवां हमसफ़र नहीं
मग़र हम ख़्याल है
न हासिल वो ना हसरत उसकी
मग़र हम जुबान है
वह सब कुछ है पर मेरा कुछ भी नहीं
बस इतना ही काफी है 'बिंदास"
वह मेरा मरहम-ए-इंदीमाल है
"स्वाति बिंदास"
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ठंड ज्यादा होती है जिस दिन.... कि ठंड ज्यादा होती है जिस दिन.... हम नहाते नहीं है...💦💧😛😛😛
और डिलीट कर देते हैं वो पिक्चर
यारों...
के जिसमें हम मुस्कुराते नहीं है...-
नसीहतें औरों के हक़ रखेगा कब तक
कुछ तौर अपने हक़ भी रखा कर...
सामना इक रोज़ उससे होना तेरा भी तय है "बिंदास"
बड़ा फ़र्क है ज़मीं पर ख़ुदा बन के फिरने
और ख़ुदा होने में ...
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ज़िद कर बैठा है एक आंसू फिर आज
हमें मिटाने की कोशिशें ज़ारी हैं...
मुस्कुराकर हमने भी फिर... कर ली तैयारी है
अरे क्या खबर उस नमकीन पानी को...
के हारकर झुकती रही मेरे कदमों में
ये मुश्किलें सारी हैं
इस क़दर हज़ार ग़मों पर... मेरी एक हंसी भारी है
-Swati bindaas
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कर ही लिया फैसला उसने
बाकी सब दरकिनार कर दिया...
ठुकरा कर सोलह सिंगार आज
स्वाभिमान पहन लिया...— % &-
वक्त दर वक्त सोने के सिक्कों सी..
खनकती..खिलखिलाती..गुदगुदाती..सिहरती
दिल बच्चा बन रोए कभी तो..
लोरी बन कानों में बजती..
बन हौसला..कभी साथी..कभी आंसू.. कभी प्रेमी..
अनकहे एहसासात को गीतों में पिरोती
दिलों में धड़कन सी धक धक धड़कती ...
कुछ आवाजें कभी नहीं मरती ...
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कैसे रहूं मुतमइन....
जो लग रहा है...है नहीं...
वो ख़फ़ा है इतना...
जैसे वो..अब वो नहीं
मिलता है मुझसे यूं ...
जैसे कुछ भी हुआ ही नही!!!— % &-
कुछ बातें ऐसी बनाई थीं हवा में
उस रोज़ साहेब उसने
के क्या कहें...
के उनके पांव तो पकड़े थे हमने कभी
आज भी ढ़ूढते फिर रहे हैं ...
मग़र नाकाम हैं
उन बातों के
धड़ अब भी गायब है....
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