Ishq
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बहुत बारीकी से हर इक पन्ने को पलटी हूं
बड़ी देर तक ख़ुद को तलाशा है तेरी किताब में
थे कभी गर हम ख्यालों में
तो हुआ ज़रूर होगा ज़िक्र तेरी बातों में
जो देखी ख़ुद को तेरी लिखीं कहानी में
हो सके उम्र बाद भी दीदार
बस यही दुआ कर बैठी
मोहब्बत के उस निशानी की।।-
मेरी पहचान हो तुझसे चंद रातों की
कुछ अधूरे कुछ अनकही बातों की ।
फिर भी हर दफ़ा एक नई कहानी लिख दूं
बिन मुलाक़ात ही कितनी जुबानी लिख दूं ।
जो कोई तुम्हे पढ़े मुझमें
उलझ जाए वो खुद ही उसमें।
जुदाई लिखकर फिर पहली मुलाक़ात लिखूं
खोया महबूब लिख फिर मोहब्बत वाली बात लिखूं ।
लिख दूं अंत कभी फिर सब शुरुआत लिखूं
बिन बातें ही कितनी बात लिखूं ।-
ज़िंदगी की सफ़र में जो लड़खड़ाओ
फिर ख़ुद बिखर ख़ुद ही ख़ुद हो संभालो...
शिकायतें हो बहुत से
पर हो सभी ख़ुद से
फिर कहा बैठ ख़ुद को गिराए औरों(ख़ुद) के नज़र से।
उम्मीद जिसे हो जितनी हो
जो टूटे तो इक दफा सफ़ाई दे दें
लेकिन ख़ुद से लगाई उम्मीद जो टूटे फिर कहो कहा कैसे ख़ुद को समझाए।
सभी को तसल्ली दिलाकर जो तन्हां बैठे
पर ख़ुदको न जो सांत्वना दिला पाए
फिर कहो कैसे ख़ुद को नई सुबह की उम्मीद दिला पाए।-
मेहंदी ने लाली हाथों में लाई, हल्दी की रौनक चेहरे पर छाई
संगीत कि मधुर धुन कानों में है आई
सब रस्मों ने मिलकर बन्नो, ये खास पल को नजदीक है लाई।
आओ सखी देखो ख़ुदको, क्या नूर है चेहरे पर आई
जैसे हूर खुद स्वर्ग से उतर आई
सोलह श्रृंगार में बन्नो मां की परछाई
तुझमें है आई।
आज दिन खुशियों की है बन्नो, संग आने को है वो पल जुदाई की
इसलिए तो है होठों में मुस्कान आंखों में चमक संग नमी है आई।
आज से तुम "Anu संग Sami" बन जाओगी, खुद की एक नया जहां बसाओगी
साथ नया सब कुछ होगा, खुशियों का ठिकाना होगा
अंजान बहुत से होंगे, पर सब अपने होंगे ।
तुम खुश रहना खुशियां फैलाना, अपनी सखी सहेलियों को भूल न जाना।
ये शुभ दिन अनु खास तुम्हारा है, ये अनोखा अहसास बड़ा प्यार है।
दूर बैठे भी हमारी आंखों में खुशियों की लहर संग कुछ नमी ले आया है ।।-
कुछ समझना चाहती हूं
कुछ समझाना चाहती हूं
ख़ुद को ख़ुद की उलझनों से निकाल सुलझाना चाहती हूं ।।
खूबियां बताना चाहती हूं
खामियां सुधारना चाहती हूं
मैं ख़ुद को ख़ुद से रू-ब-रू कराना चाहती हूं ।।
अपनी पसंद को पास रखना चाहती हू
नापसंद से कही दूर जाना चाहती हू
मैं ख़ुद को ख़ुद की नजरिया समझाना चाहती हूं।।
खुशियों में खिलखिलाना चाहती हूं
और उदासी में थोड़ा गम जताना चाहती हू
मैं ख़ुद को ख़ुद की ख़्वाहिशों से मिलवाना चाहती हू।।
मैं चाहती हू ख़ुद से बाते करना
और समझना अपने अन्तर्मन को
मैं चाहती हूं ख़ुद में ख़ुद को महसूस करना।।-
कुछ समझना चाहती हूं
कुछ समझाना चाहती हूं
ख़ुद को ख़ुद की उलझनों से निकाल सुलझाना चाहती हूं ।।
खूबियां बताना चाहती हूं
खामियां सुधारना चाहती हूं
मैं ख़ुद को ख़ुद से रू-ब-रू कराना चाहती हूं ।।
अपनी पसंद को पास रखना चाहती हू
नापसंद से कही दूर जाना चाहती हू
मैं ख़ुद को ख़ुद की नजरिया समझाना चाहती हूं।।
खुशियों में खिलखिलाना चाहती हूं
और उदासी में थोड़ा गम जताना चाहती हू
मैं ख़ुद को ख़ुद की ख़्वाहिशों से मिलवाना चाहती हू।।
मैं चाहती हू ख़ुद से बाते करना
और समझना अपने अन्तर्मन को
मैं चाहती हूं ख़ुद में ख़ुद को महसूस करना।।-
जो धुर में पाई गई विरासत के लिए
अपनी समझदारी ईमानदारी को राख कर
अपनी लालच के आग में तपते है,
वो भी भारत के सीमा विवाद पर
खुद की राय रखते हैं।
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चाहुं तो फ़कत लफ़्ज़ों में
कुछ यूं उलझा दू उन्हें कि
क़ामूस पड़ीं हो सामने और
वो मतलब ना निकाल सकें...-
Best friend हो ना हो
पर अच्छी दोस्ती होना जरूरी है
तुम best friend नही हो
पर सबसे प्यारी सहेली हो
ना जाने कितनी खास हो तुम❤️
जब भी दोस्ती की ज़िक्र हो
तो मेरे जहन का पहला नाम हो तुम🩵
जो आए शहर तेरे
एक मुलाकात का ख़्वाब हो
वो ख़्वाब हो तुम 💜
लाख इंतजार करवा कर जो आए
फिर जिस सूरत से सुकून मिले
वो सुकून हो तुम 💛
हमारे इस बंधन की बंधे रहने की
वजह भी हो सिर्फ तुम💚
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