बस एक शर्त पे प्यार हो....
की बे-शर्त प्यार हो!!!!-
बहुत सोचा !!फिर हालातों पर छोड़ दिए...
अब बताओ...
कुछ यूँ भी जिए ... तो क्या जिए!!!!-
खुदा ने नहीं चाहा कभी बेगुनाहों को सजा देना!!!
जरुरी हैं जिंदगी में कुछ पाने के लिए कुछ गवां देना....
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घर वाली माँ के लिए सालों तक वक्त नहीं जूटा पाए...
और मंदिर वाली माँ को तुम फूल मिठाई चढ़ाये...
वो माँ तो संतान मोह में फ़सी हैं...
पर ये माँ तुम्हारे हर कर्म का हिसाब रखी है....-
जवाब ढूंढते-ढूंढते जब जिंदगी सवालों में
उलझ जाती है...
तो बस एक माँ ही हैं जो जवाब
लिए नजर आती हैं...
बात बड़ी हो या छोटी...
पल भर में सारी परेशानी पी जाती है....
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हाँ,तेरी जीत से मुझे प्यार है...
तो,तेरी हार भी स्वीकार है...
तेरे खुशियों का गर हक़ मुझे...
तो तेरे दुःख पे भी अधिकार है...
अगर तेरी हसीं से मेरा करार है...
तो है हिम्मत की उठा लूँ ,
जो तेरे आँशुओं का भार है...
होंगी कमिया बेशक़ तुझमे...
पर मुझे दिखी, जो खूबियां हजार है...
ना लेना ज्यादा, ना देना कम..
यही प्रेम का तो सार है...
तेरी जीत से मुझे प्यार है...
तो,तेरी हार भी स्वीकार है!!!
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कर्त्तव्य पथ पर बढ़ना था...
कोई संशय ना कोई शंका था...
जीवन को तब आभास हुआ...
जो पाया सो सब मन का था!!!
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बाकि भाषा भले ही टूटी-फूटी आये...
गर्व की बात तो तब होगी....
ज़ब हम कायदे से शुद्ध हिंदी सीख जाए....
अपनी पहचान हिंदी में बताये...
उसके व्यकारण मे गोते लगाए...
इस एक भाषा मे हमारी दुनिया सिमट जाए...
गर्व की बात तो तब होगी....
ज़ब हम शुद्ध हिंदी सीख जाए....
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इतनी हिम्मत कहाँ इंसानों में
जो अपना कर्म छिपा ले...
मौका मिलते ही निकल
पड़ते हैं गंगा नहाने!!!-