Are you still dependent ? Yes, I am. Your true success is while growing up and getting better in your life and career, you remain emotionally, mentally and spiritually dependent on your parents and partners, on your friends, on your siblings and on Nature.
And I am proudly one.-
क्यूँ मेरे अनंत को, किसी के अंक की ज़रूरत है,
क्यूँ मेरे वजूद को, किसी के साथ की जरूरर है,
था क्यां अकेला में.!, हारा था जब जंग में,
होशला था बुलंद, बाजुए थी मेरी कुशल,
हारा न में अपने-आप से, तुटा था में परिणाम से,
विषम थी परिस्थियाँ, अडग थी फिर भी मनस्थितियाँ,
राही था राह दर बदर में, खुद की तलाश मे,
न था में किसी की आस मे, में तो था खुद के विश्वास मे,
अंत को साथ लिए, में तो था शुरुआत के प्रयास मे,
परिश्रम का प्रसाद लिए, में तो था किस्मत के हाथ मे,
क्यूँ मेरे अनंत को, किसी के अंक की ज़रूरत है,
क्यूँ मेरे वजूद को, किसी के साथ की जरूरर है ...-
How tough it is for the new moon,
To wear a coat of darkness to hide his sight...
How tough it is for the stormy wind,
To move on so easily by leaving his dear behind...
How tough it is for the branches of trees,
To get ready for all the seasons again and again...
How tough it is for the lentic water,
To get evaporated for becoming a rain of hope...
How tough it is for the wordly human,
To ignite himself to keep ignited this world...-
जिसके साथ सपने साँजा करने के सपने देखे थे,
उसको मेरे सपनों की इमारत बे-बुनियादी लगी,
क्योंकि, नींव पे मेने उसके साथ के भरोसे को जो रखा था ।
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प्यार का दूसरा नाम ही आज़ादी है,
और शादी का तो मतलब ही बंधन है...
दिल से दिल के तार जुड़े, वही तो प्यार की अभिलाषा है,
और कुंडली के गुण मिले वही तो शादी की परिभाषा है...
इश्क मे तेरा हो कर तुज में मीट जाना, चाह है मेरी,
शादी करके खुद के वजूद को तलाशना राह है मेरी...
राणा संग ब्याह रचाया, फिर भी जोगण मीरा कहलाई,
ब्याह हुआ था रुक्मणी संग, फिर भी राधा कान्हा संग गवाई...
दो नो में भेद अनंत, दो नो की राहे अलग,
फिर भी न जाने क्यूँ, उलझती इन दो नो की दौर हर तलक...-
બોલવાની મંજૂરી નહીં, અભિવ્યક્તિની આઝાદી જોઈએ છે,
ઓક્સિજનનો બોટલ નહીં, ખુલ્લામાં શ્વાસ લેવાની છૂટ જોઈએ છે,
દલીલમાં જીત નહીં, મારા વિચારોમાં તમારી રજામંદી જોઈએ છે,
રીત-રિવાજોનો બોજ નહીં, સમજણનો આવેલ અણસાર જોઈએ છે,
કોઈ શું કહેશેની બીક નહીં, દિલને શું દિલાસો અપીસનો ભાસ જોઈએ છે,
સંતુષ્ટ હોવાનો દેખાવ નહીં, અસંતુષ્ટ રહેવાની તલપ જોઈએ છે,
ખુશ હોવાનો આડંબર નહીં, હકીકતને સ્વીકારવાની તાકાત જોઈએ છે,
કશુંક માંગવાની જીજીવિષા નહીં, હકથી હક માંગવાનો હક જોઈએ છે.-
कौन हूँ मैं....?
शून्य पर सवार, अनंत सा निहार,
शांत जल का प्रवाह, प्रचंड प्रलय की में एक हवा,
कण सा सूक्ष्म, अखंड़ भ्रमांड सा में विशाल,
शक्ति का संचार, में शिव का विचार,
तपती धूप सा भौकाल, में मेघ का मल्हार,
जीवन का व्याप, में मुत्यु का पर्याय,
तांडव सा ध्यान, में समाधि सा ज्ञानी,
जीवन की धारा में बहता, में प्रवासी एक मानवी...
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Kisi Se Koi ummid ki ummid hi Kyon Rakhuno mein,
Kisi ko koi ummid Ki gunjaish hi Kyon do mein....
Umeed ki Umeed Rakh ke na ummid Pane Se to Achcha hai,
Mein Na ummid ki ummid rakh ke Khud Ko Tarazu...
Kuchh banne ki chah mein me khud ko bhul jaun,
Kisi ke hone ki aans mein me khud se bichhad jaun...
Khud ki Umeedon Mein Na ummid Raha mein,
Ee zindagi, Teri Umeedo pe mein Kaise Khara Utar jaaun....!
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પ્રેમ એટલે શું... ? આઝાદી... ખુલ્લી આઝાદી...
બોલવાની, વિચારવાની, ફરવાની અને માણવાની...
જ્યાં આઝાદીને બંધન નામનો ટૂંપો પહેરાવાય છે,
ત્યાં પ્રેમની શી વિશાત ઝઝૂમવાની....?
તમે બંધનનું પાંજરું ખોલ્લો છો,
એ તમારી ચકાસણી છે...
એ ગગન વિશાળ છોડીને પણ તમારી પાસે જ આવે છે,
તો તે એનો સાચો પ્રેમ છે...
તમે કોઈને તમારા વગર પણ ખુશ રહેવાની આઝાદી આપી શકો છો,
તો તે તામારો સાચો પ્રેમ છે...-
अकेलापन भी आखिर कितना अकेला होता है...?
अपनो से दूर, खुद के आगोश में,
या अपनो के बीच, खुद से दूर...
भरी महेफिल में, बीना नकाब में,
या नकाब पहने, खुद के साथ...
सामाजिक रिश्तों से उलझी हुई डोर में,
या खुद की पहचान से सुलझे हुए एकांत में...
जप-तप की परंपरा से जुड़े हुए भगवान में,
या स्वयम के अस्तित्व के विश्वाश में...
क्या कहेंगे लोग के रोग से बरबाद होने में,
या अपने दिल की राह पर चल कर आबाद होने में...
Social Media की शोर-गुल में गुमनाम होने में,
या कुदरत की गोद मे, खुद के होनेपन के अहसास में...
भीड़ में ग़ुमराह होने से तो अच्छा ही हे,
तुम अपनी राह पर अपने साथ अकेले चलो...।-