मैं जिद नहीं हूं करता अब खामखाह के कोई
क्या पा लिया क्या खो दिया सच ये बता दे कोई
वो काफी दूर है, मसरूफ है, न चाह करता मेरी
तालीम दे जो है हुनर, बस ये सिखा दे कोई
क्या बात है क्यूं चुप हो तुम, मन हो रहा क्या तेरा
इस बात से, इस राज से, पर्दा ये हटा दे कोई
अब भूल जा मैं कुछ नहीं, पर था कभी मैं तेरा
सब खत्म हो एहसास जो, लम्हा ये मिटा दे कोई
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