टूटे - फ़ूटे कुछ अल्फाज़ लिखती हूं
ख्वाबो में होती है जो मुक्कमल
एसी ही कुछ बात लिखती हुं
यूं तो घायल नहीं हुं मैं
पर उन घायल दिलो की आवाज लिखती हुं
कुछ अधूरी रह गयी कहानियों के
भीतर छिपे राज़ लिखती हूं
यूं तो इश्क़ किया नहीं कभी
पर उसमें होने वाले एहसास लिखती हुं
यूं तो शायर नहीं हुं मैं
बस टूटे - फ़ूटे कुछ अल्फाज़ लिखती हुं ...
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