दीपज्योति: परब्रह्म: दीपज्योति: जनार्दन:।
दीपोहरतिमे पापं संध्यादीपं नामोस्तुते।।
शुभं करोतु कल्याणमारोग्यं सुखं सम्पदां।
शत्रुवृद्धि विनाशं च दीपज्योति: नमोस्तुति।।-
We can fly High,
If You are with Me, Though We
both don't have Wings.-
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जिसे तुम देखते हों पर्वत कैलाश पर,
हां मैं वहीं कैलाशनाथ हूं।
जिसे कहते हों तुम माया के महिश्वर,
हां मैं वहीं महेश्वर हूं।
जिसे कहते हों तुम तिनों लोकों का स्वामी,
हां मैं वहीं त्रिलोकेश हूं।
जिसे कहते हों तुम पार्वती का प्रिय,
हां मैं वहीं शिवाप्रिय हूं।
जिसे कहते हों तुम विश्व के ईश्वर,
हां मैं वहीं विश्वेश्वर हूं।
जिसे कहते हों तुम देवों का देव
हां मैं वहीं महादेव हूं।
जिसे कहते हों तुम कालो का काल,
हां मैं वहीं महाकाल हूं।-
मैंने सावन के महीने में बारिश को बरसते देखा हैं,
अंगारों से आग को जलते देखा हैं।
मैंने पतझड़ के मौसम में पत्तों को झरते देखा हैं,
अच्छी सुरत वाले लोगों में विपरीत बुद्धि को देखा हैं।
तुम दोस्तों की बात करते हों साहब,
मैंने अपने कुछ दोस्तों में कृष्ण और सुदामा को देखा हैं।-
जो इन्सान
अपनी इन्द्रियों पर
नियन्त्रण कर लेता हैं,
उसकी बुद्धि
स्थिर हों जाती हैं।
किशन कन्हैया मथुरावाले-
मुझे उड़ने के लिए पंखों की जरूरत नहीं,
मैं उड़ता हुं अपने विचारों से।
मुझे तैरने के लिए लहरों की जरूरत नहीं,
मैं तैरता हुं अपने विचारों से।
मुझे चलने के लिए सहारे की जरूरत नहीं,
मैं दौड़ता हुं अपने विचारों से।
मुझे बोलने के लिए आवाज की जरूरत नहीं,
मैं शोर मचाता हुं अपने विचारों से।-
मेरा समय सही था,
बस मेरे हालात बुरे थे।
मेरी मंजिल सही थी,
बस मेरा रास्ता बुरा था।
मेरी ख्वाहिशे सही थी,
बस मेरी आदतें बुरी थी।
मेरी कहानी सही थी,
बस मेरा किरदार बुरा था।
मैं सोचता ही सही था,
बस मेरे करम बुरे थे।
फिर भी मेरा समय सही था,
बस मेरे हालात बुरे थे।-
मेरे जैसा भक्त न कोई।
मेरे जैसा दुष्ट न कोई।
मेरे जैसा ज्ञानी न कोई।
मेरे जैसा अहंकारी न कोई।
हां हुं मैं रावन,
मुझमें हैं लाख बुराईयां,
क्या तुम में हैं कोई राम?
जिसमें हों लाख अच्छाईयां।
तुम खुशी से मुझे जलाओ,
हैं अगर तुममें कोई श्रीराम तो चलो आगे आओ।-
कुछ ज्यादा नहीं बदला
बस कुछ सदीया बदल गई,
बस कुछ युग बदल गए,
पर इंसान न बदला।
द्वापार युग में द्रोपदी का चीरहरण हो रहा था,
और श्रीकृष्ण दौड़े आए थे।
सती युग में सीता का हरण हुआ था,
प्रभु श्रीराम राम दौड़े आए थे।
आज बस युग बदल गया
पर इंसान न बदला।
आज द्रोपदी और सीता नहीं है,
पर नारी वहीं हैं।
दौड़ कर आने वाले कृष्ण और राम भी नहीं है।
कुछ ज्यादा नहीं बदला
आज बस युग बदल गया
पर इंसान न बदला।-