Swapnil Dubey   (© ® स्वप्निल दुबे)
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Joined 20 April 2020


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Joined 20 April 2020
7 AUG 2022 AT 23:16

तेरे लिए कतरा कतरा खोने को तैयार बैठी हूं,
सांसें देने से पहले खुदको तुझ पर कुर्बान करने बैठी हूं।
तूने मुस्कुराकर गले लगाया है, आज इश्क की स्याही से कलम भिगाए बैठी हूं, तेरे लिए किताबों पर किताब लिख दूं, ऐसी शायरी लिख शायर बन बैठी हूं।

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3 JUN 2020 AT 11:32

मेरे हाथों में तेरे हाथों की गर्मी सुकून देती है, हमको पूरा कर देती है।

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2 JAN 2022 AT 16:51

रूठ जाते हैं वो,
छोटी मोटी बातों में,
मनाऊँ कैसे उनको,
खामोशियों की घटाओं में।

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16 DEC 2021 AT 10:40

बन जाऊं मैं भी पंछी और पंख फैला उड़ जाऊं,
पहुँचूँ उस देश में जिधर मुसाफ़िर बन फिरूँ,
ठहर जाऊँ चंद लम्हों के लिए,
खो जाऊँ सपनों की दुनिया में,
अपनी चाहत का असर असमॉ तक पहुंचा दूँ,
रंगीन फिज़ाओं में फड़फड़ाते पंखों का नज़ारा देखूं,
जी लूँ अपनी ज़िन्दगी और मर जाऊँ खुदा की गोद में।

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24 SEP 2021 AT 13:07

मेरी काया के एक टुकड़े हो तुम,उड़ने को तैयार हो तुम,
खुले आसमान को निहारते हुए,धरती के इंसानो का प्यार हो तुम।

अपनी ही काया में खोए हुए से,कभी सूरज की रोशनी में चमकते,
कभी चाँद की ठंडक से ठिठुरते,बारिश की बूंदों का संसार हो तुम।

ओ मेघ तुम्हे निहारती निगाहें,अपने ही सुकून में ताकती हुई सी,
तुम बूंदों के सागर को धरा पे लाओ,तपती ज़मी की प्यास बुझाओ।

तुम पर टिकी हुई है सबकी आस,बुझाओगे तड़पते दिलों की भी प्यास,
तुम्हारी कुर्बानी से दुनिया चलेगी ,तुमको पुनर्जन्म देने फिर नदियां बहेंगी।

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30 AUG 2021 AT 11:12

बैठा हूँ दिन ढल गया बस एक आस है,
माँ की सुंदर गोद में भी गरीबी का मंजर है,
आज तुम्हारी गुलाबी शाम ने भूख भुला दी,
माँ तेरे बच्चों ने तुमको कैसी सज़ा दी,
कैसे करूँ तेरी कोख की हिफाज़त माँ,
आज प्यासा दिन, आंखों से छलक रही प्यास माँ,

माँ तेरी गुलाबी शाम का बचपन बना दे,
रोटी की लड़ाई खत्म कर सबको पनाह दे,
बस सुंदर मन से सब करे भलाई,
हर दिन खुशियों की बहार खिलाये,
हर रात तेरी गोद में हम बच्चे बन सो जाएं।
माँ तेरे बच्चे सच्चाई से करें तुझे सुबह शाम सलाम।

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30 AUG 2021 AT 7:28

गुलाबी शाम ढलने को है,
अकेले चलते कितने सवेरे देखे,
आज रंगीन शाम का अंदाज़ अलग है,
मेरे हाथों में तेरे हाथों का असर है।

थम गया यह पल और थम गई यह शाम,
गुनगुनाती ये हवाएं धड़कते दो दिलों के नाम,
कितना हसीन है समा, हम एक दूजे में सिमट जाए,
तेरी बाहों में जीकर साँसे तेरे नाम करते जाए।

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25 AUG 2021 AT 19:53

जन्म लेकर आये,जहाँ की खुशियां देखीं,
माता पिता का प्यार देखा, रास्ते खोजने सीखे,
आज रग रग में समाहित दुनिया का रंग ,
छीन रहा है तुमसे यह पल रंगीन पल,
दूध की तरह निर्मल मन अडिग रहेगा हर पल,
क्योंकि अच्छे मन से भरा हुआ संसार सजाया है,
कर्मों को करते करते प्यार सभी से पाया है,
तुम खुशियों से खूब नहाओ और हस्ते हस्ते नाचो,
हर दिन हर पल दामन भर रहे कृष्णा के प्रेम से,
तरक्की करो कृष्णा के स्नेह से,
ज़िन्दगी लंबी हो तुम्हारी, और हो खूब सुहानी,
जन्मदिन के दिन प्रेम सहित शुभ कामनाएं ❤️

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24 JUL 2021 AT 8:57

प्रेम डोर अब ऐसी बाँधी, तोड़ सके न कोय।
प्रेम परिभाषा ऐसी जानी, जग में जाने न कोय।
गुरु प्रेमधुन ऐसी बजी, दूजी धुन भाये ना मोय।
गुरु वाणी का ध्यान धरूँ, गुरुशब्द मन मैला धोय।

गुरप्रेम ही परमज्ञान है, गुरु प्रेम अनंत प्रकाश।
गुरु चरणों में समर्पित मन, गुरु जीवन की डोर।
गुरु में समाहित सृष्टि है, गुरु में समाहित ब्रम्हांड।
गुरु कृपा परम कृपा, गुरु कृपा ही ज्ञान।
सतगुरु के चरणों में शत शत नमन प्रणाम।

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25 MAR 2021 AT 22:03

एक छलांग की कोशिशें करता है मन,
उस पार पहुंचने को तरसता है मन,
करते हैं जतन दिन रात तुझमें है मन,
बस तू ना ढलना यह कहता है मन,।

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