Swapna Borse   (मधुसुता)
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Joined 29 August 2021


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14 DEC 2022 AT 17:09

बाप नावाचा

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2 DEC 2022 AT 6:40

Swapna

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12 NOV 2022 AT 12:33


उरी....(१८सितंम्बर२०१६)

जब जब १८सितंम्बर तारीख आती है
तब तब हे चेहरा मायूस हो जाता है
हम सब बड़ी चैन की सांसे ले रहे थे
सोचा भी नहीं आज का सुरज
लाल रंग से भरा होंगा
परीवार वालो को भी नहीं पता होगा
की हमारे बेटे कभी हमसे बिछड़ जाएंगेे
सुबह के घड़ी में साडे पाच बज रहे थे
हम सबको कोई अंदाजा भी नहीं था
धोखाधड़ी से सिमा लांघने में दुश्मनों का इरादा पुरा हुआ
हिन्दुस्थान की पवित्र मिट्टी पर गंदे पांव रखे गद्दारोने
आखिरी निंद की सांसे ले रहे थे जवान
निहत्थे और सोये हुएं जवानों पर अंधाधुंध गोलीबारी की
धुंआ धुंआ ही दिखाई देने लगा
सन्नाटा ही सन्नाटा छाया सुबह सुबह की पहर पर
मातंग पसरा घरों में सुनें पड गए हो आंगन
हे दिल भी रोने लगा जवानों की शहादत
शहिद जवानोंको शत् शत् नमन💐💐

शौर्यम दक्षम युध्दे
बलिदान परम धर्म!!




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10 NOV 2022 AT 20:11

मनाच्या शिपंल्यात जपावे
आठवणींचे लक्ष मोती अशीच
अशीच फुलावी सदा आपुली प्रीत❣️

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6 NOV 2022 AT 18:45

आठवणींच्या झुल्यावर
झुलतांना मन होई बावरे
स्पंदने वाढता हृदयाची
सखी स्वत:ला सावरे









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25 OCT 2022 AT 8:59

बेशक किया था इंतजार
हमने भी आपके लिए
मगर हमें भी मिला प्यारा
हंसी फौजी यार लाखों में
💖🙈🌍💞💝

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11 OCT 2022 AT 19:37

Having a beautiful face is not everything, for that a person needs a pure mind, beautiful thoughts and an innocent heart

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17 AUG 2022 AT 22:13

संपता काळ‌ विरहाचा
नभ एकाकी भरुनी आले
पाऊसाला अवनीची
होण्यापासून ना कोणी रोखू शकले


- स्वप्ना


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10 AUG 2022 AT 8:41

शिवशंकराच्या भक्तीचे
भक्तांना वेड लागले
भस्मधारी भोळ्या महादेवाचे
जप करण्या मन रमले

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9 AUG 2022 AT 8:27

परके अन् जवळचे कोण
कधी मज कळले नाही
मित्र अन् शत्रु कोण याचे
कोडे सुटलेच नाही ।।१।।

सर्वांशी मन जुळवत
एकटे पडले नाही
वणव्यात गारवा ‌शोधत
त्यात होरपळले नाही ।।२।।

विस्तवाची आग सोसतांना
कधी भाजले नाही
ओझे जबाबदारीचे पेलतांना
दुर पळले‌ नाही।।३।।

चुक नसतांना कुणापुढे
शरण गेले ‌नाही
सत्यावर एकनिष्ठ राहूनी
खोट्यात माखले नाही ।।४।।

प्रगती आपल्यांचीच
पाहूनी झुरले नाही
पावलोपावलीच्या संकटांना
पाहूनी घाबरले ‌नाही।।५।।

सामना ‌वादळांशी करुन
शेवटपर्यंत हारले नाही
जगावेगळी म्हणती सारे
ती कधी कळलीच नाही ।।६।।
-स्वप्ना बोरसे

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