आपने *आत्मज्ञान*
नामक *शब्द* तो सुना होगा। सभी जानते हैं
कि इसका अर्थ आत्मा का ज्ञान प्राप्त करना।
लेकिन इसका सही भावार्थ है.. खुद को देख लेना !!!
आप कांच या दर्पण में जिसे देखते हैं
वह आपका शरीर होता है आप नहीं।
आपने खुद को कभी नहीं देखा।
कब से नहीं देखा ऐसा कहना गलत होगा।
दरअसल आपने कभी देखा ही नहीं।
इस देख लिए जाने को ही आत्मज्ञान कहते हैं..✍️- Swami Turiyanand राधे राधे.. हरि ॐ
24 JAN 2019 AT 2:46