Swagatam Ratha   (© Swagatam Ratha ‘मुश्क’)
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Joined 12 November 2017


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16 NOV 2023 AT 19:45

हर काम देर होने के बाद कर रहा हूँ, 
क्यों मैं तुझे अब मुसलसल याद कर रहा हूँ,

मनाया है ख़ुद को तुझसे मिलने के लिए 
लगता है फिर से वही फ़साद कर रहा हूँ,

क्यों गिर कर घुटनों पे ख़ुदा के आगे रोज़
तू लौट आए बस ये मुराद कर रहा हूँ,

इल्म है मुझे मंज़र क्या होगा फिर भी मैं 
उलझ कर इसमें वक़्त बर्बाद कर रहा हूँ,

जां कोई नहीं है सुनने को हाल मेरा
इस हालत में तेरी फ़रियाद कर रहा हूँ !

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20 OCT 2023 AT 17:52

लग नहीं रहा प्यार फिर इक बार होगा,
होगा भी तो कहाँ वैसा प्यार होगा,

हाँ प्यार किया था हमने दिल्लगी नहीं
सोचिए कि उसका कैसा ख़ुमार होगा,

यादों को खरोचना क्या है मत पूछो
ये वो समझेगा जो समझदार होगा,

उससे मिलकर यार मैं बदल गया बहुत
इस अहसान का उम्र भर उधार होगा,

'मुश्क' तू फिर मत बोल भूलने को उसे
कोशिश कर के बस वक़्त बेकार होगा !

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25 JUL 2023 AT 18:50

निकल के इस जंगल से मैं अब किधर जाऊंगा,
भूल गया हूँ राह कैसे लौट कर जाऊंगा,

दबोच कर रक्खे हैं मुझे सारी बीती बातें
इस घुटन में रहूंगा तो शायद मर जाऊंगा ।

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26 JUN 2023 AT 13:53

हैं कुछ आदतें जो छोड़ पाना मुश्किल है,
यानी कि उसका मेरा बिछड़ना मुश्किल है,

ग़र हर कदम पर वो दे साथ मेरा तो मैं
कैसे बनूँ किसी का दीवाना मुश्किल है !

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7 JUN 2023 AT 4:33

जब देखा मैंने राह पर यूँ दो पेड़ों का गले लगना,
दिखा मुझे तेरा आना, माथे पर चूमना, गले लगना,

हर बार हम मिलते हैं जब एक बात ज़हन में चलती है
लगता है बच्चों सा लड़ना, झगड़ना, तेरा गले लगना,

अनबन बढ़ता देख मैं चेहरा देख के रुक जाता हूँ
भरी निगाहों से मुझे देखना,पास आना, गले लगना,

याद है क्या तुझको दोनो बातों में कितना खो गए थे
यूँ बातों में वक़्त गुज़र गया मैं भूल गया, गले लगना,

गर मुहब्बत क्या है समझना है तो इक काम करना 'मुश्क'
उसकी आँखों में इक बार डूब कर देखना , गले लगना !

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3 MAY 2023 AT 18:41

हैं कुछ आदतें
जो छोड़ पाना मुश्किल है ।
यानी कि उसका मेरा
बिछड़ना मुश्किल है ।।

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6 NOV 2022 AT 21:51

जीना मरना एक जैसा हो गया है,
ये हाल सबका क्यों ऐसा हो गया है,

दुनिया तो मुहब्बत पर कायम है न
क्यों सबसे ज़रूरी पैसा हो गया है !

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15 OCT 2022 AT 19:43

किस से बना है दिल तेरा, क्या चाहता है,
किस पर गया है जा ठहरा, क्या चाहता है,

कैसी तलब लगी है इसे दिल तो है न ये
फिर ढूंढ़ रहा है बसेरा, क्या चाहता है,

इल्म है के ताजा है ज़ख़्म, दुखेगा बहुत
मत लगा यादों में पहरा, क्या चाहता है,

ज़रूरी तो नहीं हर बार चाँद मदद करे
हर तरफ अब है अँधेरा, क्या चाहता है,

'मुश्क' तू और मत लगा तेरा दिल कही पे
फिर खो जाएगा बावरा, क्या चाहता है !

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22 AUG 2022 AT 18:10

हर काम देर होने के बाद कर रहा हूँ,
क्यों मैं तुझे अब मुसलसल याद कर रहा हूँ,

मनाया है ख़ुद को तुझसे मिलने के लिए
लगता है फिर से वही फ़साद कर रहा हूँ,

क्यों गिर कर घुटनों पे ख़ुदा के आगे रोज़
तू लौट आए बस ये मुराद कर रहा हूँ,

इल्म है मुझे मंज़र क्या होगा फिर भी मैं
उलझ कर इसमें वक़्त बर्बाद कर रहा हूँ,

जां कोई नहीं है सुनने को हाल मेरा
इस हालत में तेरी फ़रियाद कर रहा हूँ !

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8 AUG 2022 AT 18:20

जाग रहे थे कब से अब सोने जा रहे हैं,
इस भीड़ भरी दुनिया में खोने जा रहे हैं,

ताल्लुक़ टूट सा गया था ज़ख़्मों से मेरा
यार दिल लगा कर ज़ख़्मी होने जा रहे हैं,

जिस नाव में बैठकर दरिया पार करना था
उसको हम मझधार में डुबोने जा रहे हैं,

हां जानते हैं कितना गहरा है ये रिश्ता
फ़िर भी प्यार के मोती पिरोने जा रहे हैं,

कहेंगे लोग़ कि हम प्यार में पागल हो गए
ये इल्ज़ाम हम ताउम्र ढोने जा रहे हैं !

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