क्या करोगी कविताएं लिखकर
देखना एक दिन रद्दी में चली जायेंगी
सुनेगा ही कौन तुम्हें कौन दाद देगा
तुम्हें क्या लगता है तुम्हें सुनने
लाखों की भीड़ आयेगी
तब मैंने कहा था........
कविता मेरे जीवन का आधार है
उस परमपिता का अनमोल उपहार है
आएगा एक वो दिन भी जब मैं
सारी दुनिया को कविता सुनाऊंगी
और हां इतना विश्वास है मुझे
जो आज मेरे खिलाफ खड़े हैं
कल उनके दिलों में भी जगह बनाऊंगी।
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