गुमान हैं के जी रहे हैं,
फक्त वजह नहीं जानते मरने की !
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@savitatbhagat
Moon is in the arms of cloud
I wish I could have same one
To say its mine within the croud ....-
त्या राती उजेडाचं स्वप्न दाऊन
तूच मला बोलला होतास
चल आपला अंधार मीटवून देऊ
हाथ धरून चाललास चार पावलं
अन् जाग आली तेव्हा
तू नव्हतासच तिथं
मीच झाले होते अंधार
एकाकी,एकटी,चाचपडती......-
कभी कभी महसूस करता हूंँ
खुद को बेबस ,लाचार मजबूर
जब देखंता हूंँ धर्मोंका दंगा
जातियोंकी लढ़ाई ,
और भुखे मरते बच्चे
ना जाने किस और हम जा रहे है
जहाँ ना तो विश्वास हैं ,ना अमन ,ना मोहब्बत ,
बस आपस में लढे़ जा रहे हैं
"कोन किस से बेहतर ?"
खून की बह रही हैं नदियाँ,
दिलो में खून जमता जा रहा हैं,
जबतक मेरे घर में आग नहीं
'मैं ही एक आबाद सही!'
रोज के दिन का भार उठाते जा रहा हूंँ
इस आस में जीते जा रहाँ हूँ
एक दिन हो जाऊंगा आझाद इस बेबसी सें
और एक ही सुरज बिखेरेगाँ रोशनी
मेरे और तेरे लिये।-
When you are on the peak of mountain You think that you are flying ,
And you look up in sky , discovering that some one is waving at you from the moon ,...
And you are brought to the inner core of earth.....-
आहे वेचले आयुष्य जितके
हाती लागले काटेच नुसते ,
जगण्याला ना उसंत मिळाली
मरण्याला रोखणेच नुसते...
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कलम सियाही से लिखता
तो शायद,
ना दिखा पाता दर्द मेरा
दिल के लहू से बया कर
रहां हूँ,
गम ऐ मोहब्बत मेरा ।-
Sometimes it is Hard to accept that ,no one is there to say " I love you" to you ........
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