ये सब छोड़ दे प्राणी
और आँखे मूंद के सोच
तूने खुद को क्या कहा
औऱ उसने तुझ को क्या कहा
राम की तरह “बनवास”
या कृष्ण की तरह “युद्ध” ?
बुद्ध की तरह “शांत” हो जाऊं
या शिव की तरह “तांडव” मचाऊं
ढूंढ रहा है उत्तर आज अंतर्मन
किस आराध्य का रास्ता अपनाऊँ मैं।।
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*अंतर्मन *....
कहने सुनने के दौर में
इंसान मौन से ही सम्पूर्ण है…!!
अंतर्मन की टूटी खिड़की
खोली तो दिखे वो तीनों
खेलते हुए “तीन पत्ती”
मेरा तन, मेरा मन, मेरी रुह
न कभी कोई जीता, न हारा
खुशहाल सी तिकड़ी
फिर जाने कब याराना टूटा
झगड़ने लगे, अलग हो गए
“मैं” समझौता कराते कराते
ओंधे मुंह गिर पड़ी
बंद कर वो खिड़कियां,अब
अपने ही टूटे टुकड़े जोड़ती हूँ
उसने तुमको क्या कहा
तुमने उस को क्या कहा
उसने उस को क्या कहा
किसने तुमको क्या कहा
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हृदय कहे
और हृदय से ही
शब्द सरिता बाँची जाए
जितनी बूँद गिरे आँखों से
उससे ही
भावों की गरिमा आँकी जाए।-
कुछ बदल सा गया..
सौम्य आहटें
ख़ामोशी से जीती हैं,
अनगिनत सपनों को।
जीवंत मन..
शोर करता है,
शहर से भी ज़्यादा ।
चमकीली धूप,
मेरे भावनाओं की,
में नहीं,
चमकती है अब,
मेरे आत्मविश्वास में।
गीले रेत पर,
तेज़ लहरों से,
मिटता नाम,
उभर जाता है फिर,
नयी शालीनता से।
अनंत गहराइयाँ समेटे,
नीला आकाश,
सिमट जाता है,
मेरी हर धड़कनों में।
वो बोलती आँखें,
हज़ार सपने लिये,
अब हर कदम,
मेरे साथ हैं-
नई भाषा का जन्म
..मैं चुप हूं
और तुम भी शायद "
एक नई भाषा का
जन्म हो रहा है ...!
न चाहते हुए भी
तुम्हारे हमारे बीच की
पुराने अबूझ मजबूत सी दीवार ...
अस्तित्व खो रहा है !
रात्रि के 2:30 बजे नींद के आगोश में
तुम्हारे भी
हमारा भी तन्मयता बो रहा है
कहीं न कहीं
वह दीवार टूट कर भी
अब ...बोलो अनजाने मेंl
यह क्या हो रहा है...!
एक नई भाषा का जन्म!-
तुम्हारी गलतियों पर तुम्हें टोकती है,
तो तकलीफ़ में तुम्हें सँभालती भी है।
उसे घर सँभालना बख़ूबी आता है,
तो अपने सपनों को पूरा करना भी।
अगर नहीं आता तो किसी की अनर्गल बातों को मान लेना।
पौरुष के आगे वो नतमस्तक नहीं होती,
झुकती है तो तुम्हारे निःस्वार्थ प्रेम के आगे।
और इस प्रेम की ख़ातिर अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देती है।
हौसला हो निभाने का तभी ऐसी स्त्री से प्रेम करना,
क्योंकि टूट जाती है वो धोखे से, छलावे से,
फिर जुड़ नहीं पाती किसी प्रेम की ख़ातिर...!!!-
आसान नहीं होता प्रतिभाशाली स्त्री से प्रेम करना,
क्योंकि उसे पसंद नहीं होती जी हुजूरी,
झुकती नहीं वो कभी
जबतक न हो
रिश्तों में प्रेम की भावना।
तुम्हारी हर हाँ में हाँ और न में न कहना वो नहीं जानती,
क्योंकि उसने सीखा ही नहीं झूठ की डोर में रिश्तों को बाँधना।
वो नहीं जानती स्वांग की चाशनी में डुबोकर अपनी बात मनवाना,
वो तो जानती है बेबाक़ी से सच बोल जाना।
फ़िज़ूल की बहस में पड़ना उसकी आदतों में शुमार नहीं,
लेकिन वो जानती है तर्क के साथ अपनी बात रखना।
वो क्षण-क्षण गहने- कपड़ों की माँग नहीं किया करती,
वो तो सँवारती है स्वयं को अपने आत्मविश्वास से,
निखारती है अपना व्यक्तित्व मासूमियत भरी मुस्कान से।
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आप मेरे लाइफ लाइन से डेंजर बनने के सफर में मैं कहां गलत थी मैं दुआ करूंगी मैं अगले जन्म में मैं फिर से आपके बच्चे के रूप में जन्म लूं शायद तब मुझे अपनी गलती और आपकी जिम्मेदारी का एहसास हो मैं कभी इंटेंशनली कभी आपको ठेस पहुंचाई हो तो माफ कीजिएगा अपना ध्यान रखिए हिम्मत रखिएगा ईश्वर आपको हमेशा खुश रहे और स्वस्थ रहे |
आई लव यू पापा ऑलवेज मिस यू आपकी
बेटी श्वेता-
पता है पापा जब कोई मुझे से कहता है कि तुम्हें बहुत तकलीफ होती होगी अपने पिता के साथ ना होने पर तो मैं सब से यही कहती हूं कि भले ही मेरे पापा मेरे साथ नहीं है लेकिन मेरे पास उम्मीद की एक किरण तो है कि अगर कभी भविष्य में खुद को संभालने में नाकामयाब रही तो वह आकर मुझे को साथ देंगे देंगे यह कहकर उनको छुप कर देती हूं या खुद को तसल्ली दे देती हूं पता नहीं मेरे पास वास्तव में उम्मीद की किरण है भी या नहीं पता नहीं मैंने दुनिया में सबसे ज्यादा भरोसा किसी किसी किया था वह थे आप नहीं भरोसा तोड़ दिया शायद ही आपकी बेटी अब भरोसा किसी पर कर पाएगी मैं हमेशा यही दुआ करती हूं कि किसी भी लड़की को यह दिन नहीं देखना पड़े जिसे मैं खेल रही हूं आज मैं यही सोचती रहती हूं उनका खून मेरी रगों में दौड़ रहा है लोग मुझे उनकी चिराग कॉपी कहते हैं वह मुझे कैसे भूल सकते हैं काश यह सब एक बुरा सपना हो अगली सुबह जब मैं नींद से उठा तो मम्मी का हंसता है कि खिलाता हुआ मेरा परिवार वापस मिल जाए|
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एक खत बेटी की पिता के नाम की शादी में देरी हो गई हो
अनकहे जज्बात
पापा,
आज बस आपसे कुछ कहना चाहती हूं I Miss you.
आई मिस यू उस समय जब कोई अपने पिता को गले लगाता है उनसे बात करता है जब उनके पिता हर जरूरत के समय उनके साथ खड़े होते हैं चाहे वह नए लड़के वाले से मिलना हो या उनके ताने हो हर वक्त जब मुझे आपके साथ की जरूरत थी तब मुझे सिर्फ आपका नाम मिला आपका साथ नहीं मेरे पापा मेरे लिए सुपर हीरो थे पर अब एक अजनबी से मैं वह सारे पल नहीं भुला सकती जब आपको घमंड होता था कोई नहीं लड़की है तो क्या आप से गुस्सा करके हर जिद पूरी करवा कर दी थी पर यह 5 साल में आपसे इतनी दूर हो जाएंगे मैंने कभी सोचा भी नहीं था मेरी शादी की देरी होने से आप मैं मुझ में इतनी पूरी आ जाएगी पता भी नहीं था आपने यह भी नहीं देखा कि आपकी बेटी कैसी है बीवी रही है या नहीं एक वक्त था जब मुझे विश्वास था कि आप मुझे दुनिया में सबसे ज्यादा प्यार करते हो लेकिन अब यकीन है कि मैं आपके लिए कुछ भी नहीं पापा आप खुश होते तो मैं आपको कहीं से भी थोड़ी ना थी पर आप तो बदल गएl
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