Suyog Yadav   (सुयोग)
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Joined 17 December 2016


Joined 17 December 2016
16 MAY 2022 AT 20:37

बुद्ध ने कहा
'सब दुखी हैं'।

इतना जानना ही काफी है
संसार समझने के लिए
प्रेम करने के लिए,
बुद्ध होने के लिए।।

#बुद्ध पूर्णिमा
#कितबगंज

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21 MAR 2022 AT 12:41

यूं ही लिख के छोड़ दो- कुछ अधूरे शब्द,
वक्त शायद तोड़ देगा,
फिर भी कवि अपनी कल्पना से जोड़ देगा।।

#WorldPoetryDay

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18 MAR 2022 AT 7:17

प्रेम, सौहार्द के रंगों से सराबोर रहें आप और आपका परिवार।

होली की हार्दिक शुभकामनाएं ।

~सुयोग एवम परिवार।।


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20 DEC 2020 AT 14:13

जिनके बलिदान की गाथाओं से, इतिहास के पन्ने भरे पड़े हैं,
जो सींचते है खेतों को अपने पसीने से,
जिनकी मेहनत से बंजर भी हरे भरे हैं।
जो मिट जाते हैं वतन पर ख़ुशी ख़ुशी,
जिनके लहू के रंग सरहद पर बिखरे पड़े हैं।
वीरता के हजारों तमगे जिनके सीने पर जड़े हैं।
आपदा कैसी भी हो, कहीं हो, जिनके हाथ सदा मदद को बढ़े हैं,
वो अपने हक़ की खातिर, ऐसे सर्द मौसम में,
अपने देश की राजधानी की सरहद में हफ़्तों से पड़े हैं।
इस पर भी विडंबना देखिए-
बिके हुए चैनल और दो कौड़ी के नेता कहते हैं--
ये किसान नहीं हैं, देशद्रोही बड़े हैं।।

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5 NOV 2021 AT 16:35

एक दिया उनके लिए भी जलाना ....

झालरों की झिलमिल में, किसी का दर्द में तिलमिलाना, ना भूल जाना।

एक दिया उनके लिए भी जलाना, असमय जिनके घरों के बुझ गए हैं चिराग।

सपने जिनके धूमिल हुए हैं, जिनके दिलों में सुलग रही है गमों की आग।

रौशनी पहुंचे उन तक भी, जिनकी मंजिल के रास्ते पे अंधेरे का पहरा है,

जो गम में हैं, बेजार हैं, अपनों के बिछड़ने का दुख गहरा है।

एक दिया उनके लिए भी जलाना ....

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4 NOV 2021 AT 16:11

दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🙏
~सुयोग एवम परिवार

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15 OCT 2021 AT 9:19

दुर्गा पूजा एवं विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनाएं

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14 SEP 2021 AT 11:21

मेरी भाषा के लोग, सड़क के लोग हैं,
और सड़क के लोग, सारी दुनिया के लोग।

-केदारनाथ सिंह

#हिंदीदिवस

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12 JUN 2021 AT 16:17

आओ एक नयी शुरुआत करते हैं
सितारों की बातें तो रोज करते हैं
आज गुमनाम उजालों की बात करते हैं
अपनी उलझनों से तो रोज जूझते हैं
कभी वक़्त मिले तो उनका भी दर्द पूंछते हैं
जानते हैं,जानने की कोशिश करते हैं
क्यूँ वो हालातों से इतने मजबूर हो गए .
जो बचपन से ही मजदूर हो गए ।।
#WorldDayAgainstChildLabour

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1 MAY 2021 AT 16:58

मैं थका हुआ हूं,बेहद थका हुआ।
मैं पैदा होने से पहले से ही थका हुआ हूं,
मेरी मां मुझे अपने गर्भ में पालते हुए मज़दूरी करती थी। मैं तब से ही एक मज़दूर हूं।

मैं अपनी मां की थकान महसूस कर सकता हूं,
उसकी थकान अब भी मेरे जिस्‍म में है।।

~सबीर हका — एक ईरानी कवि।
#Labour_Day

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