यूं ही लिख के छोड़ दो- कुछ अधूरे शब्द,
वक्त शायद तोड़ देगा,
फिर भी कवि अपनी कल्पना से जोड़ देगा।।
#WorldPoetryDay-
प्रेम, सौहार्द के रंगों से सराबोर रहें आप और आपका परिवार।
होली की हार्दिक शुभकामनाएं ।
~सुयोग एवम परिवार।।
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जिनके बलिदान की गाथाओं से, इतिहास के पन्ने भरे पड़े हैं,
जो सींचते है खेतों को अपने पसीने से,
जिनकी मेहनत से बंजर भी हरे भरे हैं।
जो मिट जाते हैं वतन पर ख़ुशी ख़ुशी,
जिनके लहू के रंग सरहद पर बिखरे पड़े हैं।
वीरता के हजारों तमगे जिनके सीने पर जड़े हैं।
आपदा कैसी भी हो, कहीं हो, जिनके हाथ सदा मदद को बढ़े हैं,
वो अपने हक़ की खातिर, ऐसे सर्द मौसम में,
अपने देश की राजधानी की सरहद में हफ़्तों से पड़े हैं।
इस पर भी विडंबना देखिए-
बिके हुए चैनल और दो कौड़ी के नेता कहते हैं--
ये किसान नहीं हैं, देशद्रोही बड़े हैं।।-
एक दिया उनके लिए भी जलाना ....
झालरों की झिलमिल में, किसी का दर्द में तिलमिलाना, ना भूल जाना।
एक दिया उनके लिए भी जलाना, असमय जिनके घरों के बुझ गए हैं चिराग।
सपने जिनके धूमिल हुए हैं, जिनके दिलों में सुलग रही है गमों की आग।
रौशनी पहुंचे उन तक भी, जिनकी मंजिल के रास्ते पे अंधेरे का पहरा है,
जो गम में हैं, बेजार हैं, अपनों के बिछड़ने का दुख गहरा है।
एक दिया उनके लिए भी जलाना ....-
आओ एक नयी शुरुआत करते हैं
सितारों की बातें तो रोज करते हैं
आज गुमनाम उजालों की बात करते हैं
अपनी उलझनों से तो रोज जूझते हैं
कभी वक़्त मिले तो उनका भी दर्द पूंछते हैं
जानते हैं,जानने की कोशिश करते हैं
क्यूँ वो हालातों से इतने मजबूर हो गए .
जो बचपन से ही मजदूर हो गए ।।
#WorldDayAgainstChildLabour-
मैं थका हुआ हूं,बेहद थका हुआ।
मैं पैदा होने से पहले से ही थका हुआ हूं,
मेरी मां मुझे अपने गर्भ में पालते हुए मज़दूरी करती थी। मैं तब से ही एक मज़दूर हूं।
मैं अपनी मां की थकान महसूस कर सकता हूं,
उसकी थकान अब भी मेरे जिस्म में है।।
~सबीर हका — एक ईरानी कवि।
#Labour_Day-