बहुत सुकूं मिलता है तुम्हें बहता खूं देखने में
आओ इक यतीम बच्चे की आंखें दिखाते हैं
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उसमें से उसका साया हू ब हू निकालना है
या'अनी हमें पत्थर से ख़ुशबू निकालना है
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मियाँ खूब काम आयी हमें सोहबत बुजुर्गों की
जो यूं ना होता तो किस्से शहीदों के सुनाता कौन-
घर जला दिया गया पिछले दंगों में उनका
यतीमों को खुदा की जात पे यकीं क्यूँ हो
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क्या तुमने किसी जानवर को देखा है अपने बच्चों के
खातिर दूसरों के सामने खुद खाना बनते हुये बिना मौत से डरे बेहद तसल्ली के साथ, मैने देखा है काम करते हुये
मजदूरों को ठीक ऐसे ही होते हैं, मर जाना होता है उन्हें हर रोज़ .....
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इन आँखों का फ़क़त मतला पढ़ा गया था
बात मक़ते तक़ पहुँचती लोग मर ही जाते-
दानिशमंदो ने ख़रीदी होगी शोहरत पैसों से
मेरे हीरो को मोहब्बत किरदारों से मिली है..
We will miss u legend irfan khan
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अब हर इक हर्फ़ में यही दुआ आये
फ़क़त हँस पड़ें हम जब क़ज़ा आये
कुछ दिन की हिज़्र फिर बात वस्ल की
अबकी अगर आये तो मुक़र्रर सज़ा आये
एक जैसी महफिलों से अब उक़्ता गया हूँ मैं
अंजुमन में भी लुत्फ़ और कितना मज़ा आये
कुछ दिन से अंधेरा परेशां था रौशनी से बहुत
सो आते वक़्त सभी चराग़ हम बुझा आये
इख़्तियार ग़र बख्शना है तो फिर ये बख़्शो
कभी हमारी दुआ के असर से भी खुदा आये
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