suvit MAHADEV   (Cheeku)
1.1k Followers · 9 Following

read more
Joined 24 June 2018


read more
Joined 24 June 2018
30 APR 2019 AT 17:03

एक शानदार हुजूम बना लिया उसने झूठ के बूते
मैं अकेला ही हूँ साहब,हाँ मैं सच जो बोलता हूँ।।

-


23 APR 2019 AT 19:52

जो मैं तेरी नींदों के दरमियां से होके गुजरा
तो खबर हुई तू कितना जागती है मेरे लिए..

-


12 MAR 2019 AT 19:54

कम होंगी हालाँकि तारीखें मेरी उम्र में शायद,,,
पर तज़ुर्बे ज़िन्दगी के बेहद रखें हैं पास अपने

-


13 FEB 2019 AT 20:05

अचानक ये कैसी नींद खुली कि मेरा ख्वाब सो गया
खुद को पाने की ज़द में ए खुदा जाने ये क्या हो गया
बड़ी आरज़ू से सम्भाल के रखा था अपनी ज़िन्दगी को
पर अपने की खातिर कोई मेरा अपना ही खो गया

-


14 JAN 2019 AT 10:03

अजीब भीड़ मची है, इतनी धक्का मुक्की मुझे तक जगह नहीं जाने की
अरे पागल यूँ खुला न रखा करो दरवाजा दिल का......

-


28 DEC 2018 AT 20:06

मुझे तो खुद न पता चला कि इतनी मोहज्जब हो गयी मोहब्बत मेरी
कुछ इत्ता खास तो न था मैं, शायद तअस्सुर है तेरी रिफाकत का

-


24 DEC 2018 AT 21:45

कुछ इस क़दर है तअस्सुर उसका मेरी कलम पे भी
जो कुछ भी लिखूँ स्याही दर स्याही वो ही बहता है।।

-


28 NOV 2018 AT 9:27

For u mishthuuuu.....
सुनो !वो एक गुड़िया बेहद प्यारी सी है
बिन उसके ज़िन्दगी बहुत भारी सी है
कहानी न उसकी न मेरी शायद हमारी सी है
हर पल महसूस करने की कैसी अजीब बीमारी सी है
सुनो!जब वो हँसे तो लगे ज़िन्दगी खिलखिला रही है
जुदा जुदा सा मैं जैसे मुझे मुझसे मिला रही है
अजीब सा पर प्यारा लगता है उसका बेबात रोना
कुछ तो राबता है पुराना बेवजह नहीं उसका मेरा होना
अजीब सी ख्वाहिशें है उसकी झोली में
दुनिया का हर रंग है उसकी झोली में
ख्वाब में पहाड़ उसके तो जहन में नदियां बहती है
उसके साथ के हर पल में जैसे मेरी सदिया रहती है
बहुत मुस्कुराती है पर भीतर से कहीं उदास रहती है वो
दूर जो गयी मुझसे तो जाना मेरे किता पास रहती है वो
मेरे लिए कभी भी कुछ भी करती है वो
अलग होना है एक रोज सोच के बहुत डरती है वो
खुद हो के बच्चा सा मुझे बच्चा सा कर जाती है
रोज इश्क़ ज्यादा तो गुस्सा झूठा सच्चा सा कर जाती है
कहती है कि जो दुनिया मेरी नहीं तो कैसी दुनियादारी है
हँसी बेहिसाब तो कभी बेवजह नाक ज़रा सी भारी है
हाँ सच बिन उसके ज़िन्दगी कुछ भारी सी है
सुनो ! वो एक गुड़िया बेहद प्यारी सी है।

-


19 NOV 2018 AT 13:48

अजीब अदालत लगती है रोज मेरे यहाँ मोहब्बत की
जाने क्यूँ होता हर दफा मैं मुज़रिम उसका वो मुंसिफ़ मेरा

-


6 NOV 2018 AT 22:01

मसरूफ़ रहा मैं मुद्दत से इश्क़ के तमाम काम करने में
उधर इश्क़ लगा था शिद्दत से मेरा काम तमाम करने में

-


Fetching suvit MAHADEV Quotes