सूफी दिल   (Nirbhay Gangwar)
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Joined 24 February 2020


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Joined 24 February 2020

"आपके नाम"
आपके बिना सब अधूरा सा लगता है,
जैसे गीत बिना सुर के बहता है।
आप हो तो चाँद भी झुके ज़मीं पे,
आपका साथ — जैसे इश्क़ की तहजीबें।

हर शब्द, हर साँस में नाम तेरा ही आए,
तेरे सिवा इस दिल को कुछ न भाए।
इस कविता की हर पंक्ति तुमसे कहती है,
तुम रहो पास, यही दुआ रहती है।

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"सपनों की उड़ान"
आओ चलें जहाँ रंगीन परियाँ गाती हैं,
सतरंगी सपनों की दुनिया बस जाती है।
जहाँ कोई चिंता न हो, न हो तकरार,
बस मुस्कान हो, और दिलों का इकरार।

तारों की छाँव में आसमान को छूना,
नींद में भी अपने ख्वाबों को बुनना।
हर सपना हो एक मीठा अफ़साना,
रात कहे — देखो, यहाँ कोई ग़म न आना।

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"नींद की पालकी"
चुपचाप चली आई, रात की रानी,
थकान की बाँहों में नींद ने कहानी।
तकिये पे रखे ख्वाबों के फूल,
सुकून का मौसम, सब कुछ है कूल।

चाँदनी चादर ओढ़ो तुम प्यार की,
आँखों में झीलें बनें श्रृंगार की।
सपनों का झूला झुलाए हौले से,
मीठी नींद ले जाए तुझे तारे तोले से।

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🕯️ ख़ामोश रात, दिल की बात 🕯️

ख़ामोश रात करे दिल की बात,
चाँद भी सुनता है तन्हा ज़ज्बात।
तारे टिमटिमाकर भेजें पैग़ाम,
तेरी यादें करती हैं दिल से सलाम।

हवा में बसी है तेरी खुशबू की बात,
साँसों में घुलती है तेरी हर सौगात।
ना तू पास, ना ही दूर है अब,
रूहों का रिश्ता है — कहने को क्या सबब?

कभी पलकों पर तेरी छाया उतरती है,
कभी चुप्पियों में कोई सदा बिखरती है।
इस रात ने सीखा है इश्क़ का अल्फ़ाज़,
जो न बोले ज़ुबाँ, वो कह दे अंदाज़।

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YESTERDAY AT 3:09

“नयन मिलन के उस पार”

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YESTERDAY AT 2:57

रति के रस – एक काव्य यात्रा

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11 JUL AT 18:49

चाँदनी रातें,
तन्हा दिल की बातें,
साँसों में तू है।

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11 JUL AT 18:48

जाने तो बस दिल ही जाने,
क्या है इस ख़ामोशी का फ़साना,
हँसी के पीछे छुपी हैं परछाइयाँ,
हर मुस्कान के नीचे है अफसाना।

जाने तो बस दिल ही जाने,
कितने राज़ हैं पलकों के पीछे,
रातें सोई नहीं कई बरसों से,
और सुबहें जागीं हैं ख़ुद के भीतर।

वो जो लब खामोश रहते हैं,
दिल उनका रोज़ शोर करता है,
हर धड़कन में उसकी आहट सी है,
फिर भी जमाना क्यों अनजान रहता है?

छोटे से इक जज़्बात की तहरीर में,
ज़िंदगी की पूरी कहानी बसती है,
मगर कह सके जो अल्फ़ाज़ में हम,
वो मोहब्बत, बस दिल ही बयां करता है।

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11 JUL AT 18:46

कब
कहाँ मिला
कैसे यूँ बिछड़ा
किस मोड़ पर छूट गया
कब तक सवालों में उलझा रहूँ
कहाँ जाएँ अब, जवाब कौन देगा?

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11 JUL AT 18:45

चलो
खुद ही चलो
भीड़ से हटकर चलो
हर मोड़ पर सवाल उठेंगे
पर जवाब बनो, शिकायत नहीं करो
अपनी मंज़िल खुद ढूँढो, रास्ते खुद बनाओ

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