Sushma Mor   (सुषमा मोर)
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Joined 30 November 2017


Joined 30 November 2017
24 APR AT 13:47

मन के भीतर चल रहा बहुत कुछ
लेकिन शब्दों में पिरो न पाऊं।
घर की चारदीवारी में बंद रहकर
सबकी नजर में सुघड़ कहलाऊं।
दूसरों की अभिलाषाओं को पूरी करते-करते
अपने दिल की दिल में ही रखी रह जाऊं।
औरों की आकांक्षाओं पर खरी उतरते-उतरते
खुद को कहीं भूल ही ना जाऊं।

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9 OCT 2023 AT 0:03

उम्र का क्या है वो तो एक दिन बीत ही जानी है
जो पल जी लिए मन-मुताबिक वही असली जिंदगानी है।

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1 JUL 2023 AT 21:11

वैसे तो गुजरे जमाने की बात हो गई
फिर भी एक पुरानी अलबम में आज की
गुजरे जमाने से मुलाकात हो गई।
पहले तो बड़ा हसीन लगा वो चेहरा
परन्तु फिर मुझे देख इतराने लगा वो चेहरा
बोला, देख कैसा चमकता था मैं
और अब तू क्या से क्या हो गई।
मैं भी इतराई और बोली,
अरे भोली! तूने देखा ही क्या था
तू तो कच्ची मिट्टी की मूरत के जैसी थी
और मैं आग में तप कर सोना हो गई।
वो फिर इतराया,कि देख मेरी आंखें
बिल्कुल झील के जैसी
और तुम्हारी काले गड्ढों सी हो गईं।
मैं भी इतराई और बोली,
अरे भोली! तुम्हारी झील तो खाली पड़ी थी
और इन गड्ढों में तो जिंदगी की हजार
कहानियां आबाद हो गई।

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28 JUN 2023 AT 17:47

जीवन हमारे अनुकूल नहीं चलता
हम जो चाहते हैं वो कभी मिलता
तो कभी नहीं भी मिलता।
कई बार सारी दुनिया जिसे
आसानी से हासिल कर लेती
हमें उसे पाने में भी
बहुत संघर्ष करना पड़ता।
लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि
हम हिम्मत हार जाएं
फिर कुछ न कर निठल्ले बैठ जाएं
या निराश होकर गलत राह पर निकल जाएं
और ग़लती से अगर ग़लत राह चुन भी ली जाए
तो भी पीछे मुड़े और सही राह के लिए
चाहे कितना भी पीछे जाना पड़े
बिना किसी अफसोस के चलते जाएं
एक दिन मंजिल मिल ही जाएगी
अगर बीच में आई मुश्किलों से न घबराएं।

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12 JAN 2023 AT 9:21

गर्व या घमंड
किसी धर्म,जाति या देश में पैदा होना हमारे अपने हाथ में नहीं होता है। हम अपनी सभ्यता और संस्कृति पर गर्व कर सकते हैं लेकिन दूसरे की सभ्यता और संस्कृति से अपनी को श्रेष्ठ समझना घमंड बन जाता है।
अपने तीज-त्योहारों पर गर्व कर सकते हैं लेकिन दूसरे के त्योहारों पर उन्हें बधाई तक न देना घमंड बन जाता है।
अपने रीति-रिवाजों को अच्छा मानकर गर्व कर सकते हैं लेकिन दूसरों के रीति-रिवाजों में कमियां निकालना
घमंड बन जाता है।
सभी में ये परम्पराएं पुराने समय से ही चलती आ रही हैं उन में खूबियां भी हैं तो समय के साथ कुछ कमियां भी आ जाती हैं। अपनी परम्पराओं पर गर्व करना अच्छी बात है लेकिन उनकी हर बात को ही सही ठहराना घमंड बन जाता है।

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13 NOV 2022 AT 21:18

फूल सी हंसी तेरी
तेरे खिलखिलाने से महक उठे
घर-आंगन
वो उज्ज्वल सी आंखें तेरी
जिन्हें देखकर रोशन हो जाए
सारा गगन
बड़ी मनभावनी सी हैं बातें तेरी
जिन्हें सुनकर हर कोई हो जाए
उनमें मगन
वो हसीन से ख्वाब तेरे
जिनके सच होने की दुआ मांगे
ये मन।

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6 OCT 2022 AT 21:53

पचास साल की उम्र के खट्टे-मीठे अनुभव
जीवन को एक नए मुकाम पर लेकर जाएंगे।
आओ मिलकर खुशी मनाएं
उन खूबसूरत पलों की
जो बीत गए और जो आगे आएंगे।

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23 SEP 2022 AT 23:39

आज भी तुम्हारी मुस्कान बच्चे जैसी मासूम
जिसे देख मेरे दिल को मिल जाता सुकून।
थोड़ा-थोड़ा मुझ जैसा और थोड़ा सा अलग
तू है मेरी रूह,तुझमें है दिखती मेरी झलक।
कुछ मैनें तुम्हें और कुछ तुमने मुझे सिखाया
दूर रहकर भी मन से हमेशा तुझे करीब पाया।
सपनें हैं तेरे बड़े-बड़े और डगर है कठिन
एक दिन सफल ज़रूर होगा ये है मेरा यकीन।

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19 SEP 2022 AT 21:07

पिता
जो बच्चों के सुखद जीवन के लिए
कुछ भी करने को तैयार।
अपने सपनों को भूलाकर
उनके सपनों को करता साकार।
अपने बच्चों की हर ख्वाहिश को पूरा करने के लिए
जीवन भर मेहनत करता बेशुमार।
उनकी खुशी के लिए
खुद करता हर तकलीफ स्वीकार।।

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15 SEP 2022 AT 5:42

हमारी जिंदगी के फसाने अनसुने ही रह गए
हर किसी को बताना हमारी फित़रत न थी
और जिन्हें बताना चाहते थे
उनको किसी की सुनने की आदत न थी।

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