जिस मंज़र पर ठहरती है मेरी निगाहें,
वो दिलकशी का रास्ता बन गए हो तुम,
फासलों में भी, जो हर दफा रहे ज़िक्र में मेरे,
ऐसा हसीन सिलसिला बन गए हो तुम,
मेरी पहली ख्वाहिश और आखिरी खता बन गये हो तुम,
आफतों के दौर में, तुम मेरे सुकून की बारिश हो,
हां, मैंने तुम्हें कभी हाल-ए-दिल बयां किया तो नहीं,
जब अगली बार मिलो तो मेरी आंखों में पड़ लेना,
कि मैंने कैसे तेरी याद में हर लम्हा गुज़ारा है,
कि मैं तन्हा सा साहिल, और तू नदी की बहती धारा है,
चांद और तारे तोड़ कर लाना तो मुनासिब नहीं,
लेकिन तुझे अपने सजदों में शामिल कर लिया है मैंने,
अब तू रुठे या फिर मान जाए इसकी परवाह नहीं,
जो बस जाए रुह और दिल की गहराईयों में,
एक तरफा ही सही, इश्क कर लिया है मैंने,
प्यार सज़ा है, तो ये सज़ा भी हमें कबूल है,
बस ईक झलक दिख जाए यार की, उस पर फ़िदा हम हैं,
तुम हो हमारे रुबरु, ऐ हसीं, ये क्या कम है?
ईस जहान में, एक लौते खुशनसीब हम हैं।
ईस जहान में, एक लौते खुशनसीब हम हैं।
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