वृंदावन में बजी बांसुरी मुझे थिरकन सी लागी
नाच उठा मोरा रोम रोम सब तेरी प्यास अब लागी-
कान्हा मुझको ढूंढ रहे मैं कान्हा को ढूंढूं
वो जो मेरे अंदर हैं मैं किस कान्हा को ढूंढूं
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कैसे याद करूं तुझको मैं मेरे प्यारे कान्हा
रोम रोम में बसे हुए हो मेरे प्यारे कान्हा
बंद करूं या खोलूं आंखे तुम्ही मुझे दिखते हो
याद नही कब भूली तुझको मेरे प्यारे कान्हा-
कुछ ख्वाबों को वो खयाल बना लेते हैं
वो चुप रह के भी हम ख्याल बना लेते हैं-
इसी मिलन की तड़प हो रही काश मुझे मिल जाते
काशी मथुरा और अयोध्या सब तीरथ हो जाते-
तुझे लगी कान्हा की धुन और दीवानी हुई
मुझे प्यास तेरी है राधा मैं कान्हा क्या जानू-
लगा लूं गले जो इजाज़त तेरी हो
मिलेगा मुझे कुछ सुकून गर इजाज़त तेरी हो-
खुद पर जो हंस सके वो ही इंसान सही है
बुनियाद झूठ की हो तो सिर्फ रोना पड़ेगा
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पा लूं उसे हर हाल में जो नहीं मिला है
श्रद्धा का अधिकार समर्पण मुझे पता है
कोई खिला मेरे लिए जीवन दांव लगा है
भाव समर्पण है इसलिए अभी बचा है-