रूप तो कइ देखे थे सफर-ए-जिंदगानी में,
लुटे तो जाना ये कारस्तानी किस चितचोर की है।
ख्याली जंगल के शेर हम भी तो थे,
हाका पड़ा तो समझे क्या वजह इस शोर की है।
होगे तुम कालिया नाग पर साँप ही तो हो,
पता भी है ? यह गली किस मोर की है !
वो जिनकी फितरत है डूबते जहाजों से कूदने की,
कैसे करें कयास अब हवा किस ओर की है।
तिनकों की मानिंद उड़ जाएंगे पत्तों के शेर,
इन्हे समझ नहीं आँधी किस ज़ोर की है।
-
अटल जी को समर्पित
स्वर्ग भी स्तब्ध निरख रहा है राह तुम्हारी,
भानु भी मौजूद तत्पर लिए स्वर्णिम सवारी।
देवगण हैं हर्षित वापस पुरातन मित्र मिलेगा,
पहनें नवल वस्त्र चलो मिलन की कर तैयारी।
माँ धरा स्तब्ध पुत्र का अवसान बड़ा विकट है,
नयन कुछ अश्रूपूरित पुलकित देख महिमा न्यारी।
भारती का दुःख बाढ़ बन उमड़ा चहुँ ओर व्यापित,
'न होगा निश्छल ऐसा पुत्र दूजा कोई गोद में हमारी'।
मानवों के मध्य देवदूत सा धवल विराट अति शोभित,
वाणी समृध्द अटल 'सुशील' सगा पूर्वज सा था बिहारी।
-
युद्ध समस्या है, समाधान नहीं।
ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्षँ शान्ति:,
पृथ्वी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति:।
वनस्पतय: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:, सर्वँ शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति:, सा मा शान्तिरेधि॥
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:॥
-
ASIS CPP : 7 Chapters
1. Security Principles and Practices (21%);
2. Business Principles and Practices (13%);
3. Investigations (10%);
4. Personnel Security (12%);
5. Physical Security (25%);
6. Information Security (9%); and
7. Crisis Management (10%).
Any one for ASIS CPP before 31 March 2022 ?
6 weeks is all that it takes
Do YOU have it in You 👊🏻-
ऋग्वेद के दशम मंडल में पुरुष (भगवान) के चरण से "शूद्र" की उत्पत्ति बताते हैं। तो भगवान का पैर छूने योग्य नहीं है ऐसा विचार ही हास्यास्पद है। शूद्र का अर्थ तो "शुद्ध पवित्र करनेवाला" होना चाहिए। व्याकर्णीय रूप से वर्ण और वृति (प्रवृति), वर्ण और वरन (अपनाना) वर्ण और जाति के ज्यादा समीप हैं।
मनु संहिता में जाती का नहीं वर्ण शब्द का प्रयोग किया है जो जन्म नहीं रोज़गार आधारित था। बाद में यह जाति मूलक बन गया। अगर चार वर्ण ही जातियां हैं तो फिर चार हज़ार प्रकार की भिन्न जातियों की चर्चा किसी वेद या पुराण में क्यों नहीं है। पुरातन सनातन संस्कृति पर यह आरोप क्यों?
आज पर्यायी वर्ण व्यवस्था पूरे विश्व में है। सैनिक सिपाही (किसी भी जाती के) पर्यायी #क्षत्रिय हैं, शिक्षक/ सचिव पर्यायी #ब्राह्मण हैं, व्यापार संसाधन के कार्य से जुड़े पर्यायी #वैश्य हैं और सेवा क्षेत्र (हम सभी) पर्यायी #शूद्र ही हैं।
जन्मना जायते शूद्रः। संस्कारेण द्विज उच्चयेत।
जन्म से सभी शूद्र हैं, शिक्षा संस्कार से द्विज बनते हैं।
भारत रत्न डॉ. भीमराव आंबेडकर जी ने अपनी पुस्तक "शूद्र कौन" में लिखा है कि मूलतः सभी शूद्र क्षत्रिय ही थे जो कालांतर में तुर्क अफगान मुग़ल काल में रोज़गार से विलग हो दीन स्थिति में हो गए।-
We lost our virtues as We lost our Freedom. We lost our freedom because in pursuit of knowledge we forgot to sharpen our Sword. We forgot to sharpen our sword because probably we stopped caring about our Poor. We lost touch with our poor as we didn't care to teach them to take sword to defend Dharma.
Dharma protects when we protect the Dharma.
-
तहजीब के वकार की खातिर खामोश है जुबां,
उनका नासेह हमसे पूछ कर नसीहत करता है।
-
जो भी "भक्त" कहता है
तारीफ़ ही करता है,
रक़ीब को भी पता है
चमचे तो नहीं हम।
-
आओ हमारी गली, करेंगे ताजपोशी हम तुम्हारा,
गले लगाकर सीने में खंजर फिर उतारा गया है।-
कोहरे का लिहाफ ओढे बूढ़ी सी सुबह,
दरीचों के अंदर से झांकती सी तुम री।
शबनमी सी धूप खिले तो यकीं हो रात,
आइ चांदनी चंदन में नहाई सी तुम री।
-