Sushil Haryanvi   (Sushil_Haryanvi)
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Joined 24 April 2020


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15 JAN 2022 AT 8:09

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12 JAN 2022 AT 7:21

दौर था के खौफ से
साथ चल दिया करते!
हवा के रूख में लोग
अब ढलते नहीं हैं!!

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3 JAN 2022 AT 7:09

तुम पढते रहना और यूंही,
आगे बढ़ते रहना!
माहौल डर का बना रहे,
है कलम हाथ से छूटा रहे!
अंदर से कमजोर बनाकर,
देश को है चला रहे!
कैद कर दिया हर घर को,
पर जंग नेताओं की जारी,
जां, जूबां और कलम से लिखो,
संघर्षों की है बारी...✒️🖋️✒️

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28 DEC 2021 AT 8:01

बस ख्याल ही,
आया था ज़हन में मिरे!
फिर बदलता रहा मैं,
करवटें रात भर!!

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26 DEC 2021 AT 20:49

सदमे में है ईक
हवा का झोंका!
जिसने रोशन करते किसी,
दिए को बुझा दिया!!

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25 DEC 2021 AT 21:17

ये सर्द रातें,
रह रहकर ठंड से
कंपकंपाती हुई
और ठिठुरती हुई किसी
की जान ले रही है!
और दुसरी तरफ
ईश्क़िए-गुलदान और नौसिखिए
सर्द रातों में
घूमे जा रहे हैं!!

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25 DEC 2021 AT 7:44

हम ढ़ूंढ़ रहे हैं,
खुद को,
कि कहीं हमें बस,
हम मिल जाएं!!

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16 DEC 2021 AT 8:17

वो अब सूख चुकी है,
जैसे उसमें जान ही
न हो!
ठंड ने उसे यहाँ तक सिकोड़
दिया है, कि मानो
बड़ी बुरी तरह उसका
गला घोंटा हो!
और अब वो जिंदा है
या मर चुकी है,
लेकिन लोग आकर खुद
में दुबकी हुई को जलाएंगे
और उसको चिल्लाते हुए
देखकर भी दो पल के लिए
शरीर को गर्माहट देंगे!
और बुझते ही चले जाएंगे!
सफर अजनबी होते हुए भी,
अनजान ही रहा!!

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9 DEC 2021 AT 20:26

नमन.... सर

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9 DEC 2021 AT 20:24

कुछ ने कहा कि दूसरों को,
पढोगे तो खुद को लिख पाओगे!
खुद मैं ना रहा तो मैं,
किसको लिखता!!

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