देशभक्ति
हम संतान मां भारती के
इस पुण्य भूमी,पुण्य धरती के
ये दिव्य ज्ञान भूमी, देवभूमी, सनातन का दर्पण
हमारे सभ्यता-संस्कृति संस्कार का आधार है
मां तुझसे है पहचान, है ये जीवन-संसाधन
माता तुझसे प्यार अपरमपार है
मां वीर-वीरांगना सपूत जुटे तेरे
तेरी सेवा सुरक्षा हेतु तिरंगे तले
ये त्यागी सबल महान शौर्यवान है
तेरी अनन्य भक्ति मे न्यौछावर प्राण है
मां प्रेम तुझसे कृतज्ञ उनका
पर बन ना पाऊंगा उन जैसा
ना ही सौभाग्य मेरा उतना
ना ही मुझमे शौर्य वैसा पर
मां सदा सेवा कीर्तन होगा तेरा भक्तिमय सूर ताल मे
होगी भव्य आरती तेरी और इस आरती की थाल मे
उनका अमर आलोक होगा और तनिक तेज मेरा भी होगा
तेरे चरणों में नतमस्तक शीशो में एक शीश मेरा भी होगा
है आशीष तेरा और सदा ये ममता का आंचल रहे
आरती की लौ मेरा व्यक्तिव तेरे अस्तित्व में पिघल सके
देश के लिए ना मर सकूं
पर ये निश्चय करू
की देश के लिए जिऊं
हां देश के लिए जिऊं
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