पोथी-पोथी पढ़ भयो, ना रे कुछ काम,
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अंधेरे में रहकर उजाले की आस में तड़पता रहा,
उजाला एक पल को भी न आया — और अंधेरे ने फिर से मेरा दामन भर दिया।
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गुज़र जाऊँ मैं एक शाम की तरह,
ढल जाऊँ एक रात की तरह।
बह जाऊँ एक दरिया की तरह,
कभी ठहरूँ, कभी खो जाऊँ एक पल की तरह।
चमकूँ सितारों की तरह,
शांत रह जाऊँ वो चाँद की तरह।
बहक जाऊँ वो जुगनू की तरह,
गुफ्तगू कर लूँ कुछ तो परिंदों की तरह।
और ख़त्म हो जाऊँ एक दिन की तरह।
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देखो, कितने चेहरे हैं
उलझे से, सुलझे से, अपने ही पहरे हैं।
देखो, कितने चेहरे हैं —
हसीन अदाओं में छिपे गहरे अंधेरे हैं।
भीतर ही भीतर, देखो कैसे
सिमटे हुए अपने ही साए हैं।
भांप न पाओगे उनकी तकलीफ़ों को,
दिखते हैं जो ख़ुशहाल, वो भी चेहरे हैं।
देखो, कितने चेहरे हैं।
अकेलेपन में खुद को ही कोसते,
ऐसे भी कुछ चेहरे हैं।
ना जान पाओगे तुम कभी इन्हें,
अंदर ही अंदर खेल रचते ये चेहरे हैं।
देखो, कैसे ये चेहरे हैं।
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मैं लोगों पर विश्वास करता चला गया,
और लोग मुझसे विश्वासघात करते चले गए।
मैं हर किसी को अपना बनाता रहा,
और वो मुझे पराया बताते चले गए।
मैं हँसी का पात्र बनता गया,
और लोग महफ़िलों का हिस्सा बनते गए।
मैंने अपने टूटे दिल का फ़साना सुनाना चाहा,
मगर लोग मुझे बस एक शायर समझते रहे।
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चलो खो जाओ
अब इस दुनिया से अलग हो जाओ
ढूँढ लो वो, जो तुम पा न सके
अपनी दुनिया में एक छोटा-सा जंगल बसाओ
निकलना मत वहाँ से —
बाहर बड़े शिकारी बैठे हैं
बस अपने जंगल में रोज़ ख़ुद को ज़िंदा रखना
उन शिकारियों से बस चार क़दम आगे चले जाओ
पतले संघर्ष के मेड़ पार कर लेना
फिर एक नया जंगल मिलेगा
उस जंगल में भी अपने आप को तुम राजा साबित कर लेना
तुम्हें कोई ढूँढ न पाए
वरना शिकारी तुम्हें फिर फँसा देगा
सँभल कर, कहीं फिर से उस माया के जाल में न फँस जाना
ये जंगल नहीं, आखिरी कोशिश है खुद को ज़िंदगी के काबिल कहना
अब बस यहीं से अंतिम साँस की तरफ बढ़ जाओ
चलो, बस एक आख़िरी बार खो जाओ…
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"तुम्हारा सब कुछ है, लेकिन तुम नहीं।
ये जो नरम-गरम वक़्त गुज़रा हमारे बीच, अब वो भी किसी का नहीं।
कितने पल और जी पाएंगे — इसका फ़ैसला अब हमारे हाथ में नहीं।
कितनी बेरुख़ी से जी रहे हैं, और उस पर भी तेरा साथ नहीं।
हर कदम पर ख़ुद को साबित किया, फिर भी तुझे मुझ पर यक़ीन नहीं।
चलो, कोई बात नहीं —
आज अपनी उलझी बातों को सुलझा लें,
इस चाँदनी रात में फिर से एक हो जाएं।
क्या पता, कल ज़िंदगी हमें ये मौक़ा दे — या नहीं।"
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मैं डरती हूँ।
( एक लडकी का नजरिया)
Please read it in caption ,.thankyou 🙏🙏🙏🙏-