बहुत उम्र लगेगी तुमको भुलाने में,
बस इतना मान लेना कि ज़िंदा रहूँ,
वरना मेरे सिवा तुम्हें याद भी कौन करेगा।-
हर वक़्त अपने आप को क्यों कोसते हो, कुछ गलतियां तो ज़िंदगी से भी हुई हैं।
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सब लड़ रहे हैं ज़िन्दगी से,
फिर तुम्हारा रोना कैसा?
सबके अपने छूटे, तुमने भी कुछ खोया,
फिर तुम्हारा रोना कैसा?
सबको धोखा मिला,
फिर सबने उसे सबक समझा,
फिर तुम्हारा रोना कैसा?
सबके मौके छूटे,
फिर तुम्हें भी कुछ मौके मिले,
फिर तुम्हारा रोना कैसा?
इस अवैध ज़िन्दगी में,
जब लिखा उसी का,
होगा भी उसी का,
फिर तुम्हारा रोना कैसा?-
कहीं से कोई आ गया,
दो पल की खुशियाँ ला गया।
जो भी मिलता है,
दर्द और दुःख बाँटता है,
तुमसे बस तुम्हारा हालचाल पूछ जाता है।
हर बार लगता है—
खुशियाँ सदियों तक रहेंगी,
पर आखिर—खुशियाँ होती किसकी हैं?
हर बार वक़्त चुपचाप
खुशियों को काट कर निकल जाता है,
फिर वही ज़िंदगी भर का ग़म दे जाता है।
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सुनहरी सुनहरी धूप,
डगमगाते हुए झाड़,
ले वो कोयल अलाप —
हम तो टूटे-टूटे से,
बिगड़े हुए हालात।
सहमे-सहमे से हम,
उलझे हुए ख़्वाब —
धीमे-धीमे बहता दरिया,
बदले जो ज़िंदगी का नज़रिया।
रंगमंच सी ये दुनिया,
हर रोज़ बदलते किरदार —
किसे कहूं, कैसे कहूं,
सब कुछ लग रहा बेकार।
कहीं तो रुकूं, कहीं तो जागूं,
कुछ तो हो — जो ले ज़िंदगी को आकार...
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अगर मैं दिन होता...
अगर मैं दिन होता, तो यूँ गुज़र जाता,
कभी याद आता — ऐसा वो पल होता।
बुरे वक़्त में याद आता, वो दिन होता,
अच्छे वक़्त में बसता, वो दिन होता।
ना मैं पिछला दिन सही कर पाता,
ना मैं अगला दिन अपना पाता।
अगर मैं दिन होता,
हर रोज़ नए सवेरे से शुरुआत करता,
हर रोज़ घने बादलों के साथ रात में ढलता।
ऐसा मैं दिन होता...
ना वो मंज़ूरी मिलती खुदा से,
ना ही मैं कभी दिन बन पाता।
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"मैं दुनिया से लड़ गया तुम्हारे लिए,
तुम खुद से भी नहीं लड़ पाई।
मैं दुनिया से हार गया तुम्हारे लिए,
तुम खुद से भी जीत नहीं पाई।"-
एक आख़िरी बार तुमसे मिलना चाहता हूँ। ज़ोर से गले लगाकर, फूट-फूट कर रोना चाहता हूँ।
वो आँसू जो मोती बनकर तुम्हारे दुपट्टे पर गिरेंगे, उन्हें धोना मत—बस वैसे ही अपने बिस्तर के नीचे दबा देना
जब नींद न आए, तो उन्हें सिरहाने रखकर मेरी याद कर लेना... मेरी तकलीफ़ों को में तुम्हें महसूस कराना चाहता हूँ
मैं तो बहुत पहले ही चला गया था, फिर भी एक बार… आख़िरी बार, तुमसे सिमटना चाहता हूँ।
मुझे पता है तुम मुझे भूल चुकी हो, पर इस आख़िरी मिलने को भी भुला देना।
बस... अब में कुछ देर ही सही कुछ समय ही सही बस खुदको जिंदा रखना चाहता हूँ-
बौछारों ने भिगोया बारिश में कहां दम था,
छाता तो यूँ ही खरीद लिया हमने , मसला तो पूरे तूफान का था।-
"किसी दिन मुझे अचानक मिल जाना,
मैं तुम्हें देख कर दंग रह जाऊँगा।
फिर तुम धीरे से आगे निकल जाना,
और मैं वहीं का वहीं रह जाऊँगा।"
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