हर इक कतरे को जो तरस रहे हैं हम,
ना जाने क्यों तिल-तिल कर मर रहे है हम
ऐसा कुछ खास लिखा है किस्मत में ?
या बेवजह ही कमबख़्त जल रहे हैं हम-
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हसरतें और ख्वाहिशो को मुकम्मल करने निकले थे।
वक़्त बेईमान हो गया और हम बेसब्र।-
होगी सुबह कभी न कभी
यु अंधेरी से भागना अच्छी बात नहीं।
होंगे सारी दुआएं मुकम्मल इक दिन
इतनी जल्दी बेसब्र होना अच्छी बात नहीं।
क्या हुआ जो कोई साथ नहीं है तेरे
इस पल खुद का साथ न देना अच्छी बात नहीं।-
जिंदा रहकर कौन खुश रह सकता है
सबसे जिंदादिल भी तो किसी दिन रोता होगा।
होंगे बहुत, जो रहते होंगे खुद मे मशरूफ हर पल
उन्हे भी तो हर रात किसी का खयाल आता होगा।
बदस्तूर ए दुनिया है कि आप अकेले जी नहीं सकते
जबकि बात ये पक्की है कि एक दिन अकेला ही मरना होगा।
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तकलीफ ए ज़िन्दगी से भर चुका है
ये मेरा दिल है कि मोहब्बत की तरफ देखता भी नहीं!-
फासला ए मौत मेरा
बस इस दरम्यान है..
वो होता तो क्या होता
वो ना होगा तो क्या होगा-
In the time no body is mine..
It's the time I can make all my things fine.
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वक़्त दर वक़्त बताया है इसने असलीयत मेरी।
मुझे वक़्त के सिवा कोई अपना नहीं लगता।-