काया छोड़ गए यहां गए जो अपने धाम
यादों को संजोते हुए होने को आए शाम-
💮स्वतंत्र विचारक जो अपने कल्पना के रथ पर सवार,मन को भ... read more
वतन को याद करके
आँखें नम हो जाती है
जब हो जाता वतन से प्रेम
तो मिट्टी भी खाई जाती है-
सच बोलते बोलते झूठ बोलना भूल गए
प्यार के रंग ऐसे चढ़ा नफरत के रंग धूल गए-
सच बोलते बोलते झूठ बोलना भूल गए
प्यार के रंग में ऐसे रंगा की नफरत करना भूल गए-
तन्हाई बोलती है महसूस करो मुझे
ढूंढ लो उस यादों को सुकून जो दे तुझे-
तन्हाई बोलती है साथ उसके न होने से
पता चला अब समय काटता है उसको खोने से
शराब साथ है फिर भी तन्हाई बोलती है
भरा पड़ा है दिल में जो गुबार वो खोलती है
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तन्हाई बोलती है कान लगा कर सुनो
देखते क्या हो चलो रात के लिए सपना बुनो-
यादें बनया रश्मि के संग
वो ना मुझसे भुलाए कभी
जब चाहूं याद करना
उन यादों को तब वो आए तभी
आ जाए चेहरा सामने रश्मि की
तो तारीफ में कोई शेर दुहराए तभी
रश्मि का रंग चढ़े मुझपे ऐसे
किसी साबुन से ना धूल पाए कभी
तनिक भी ओझल हो नजर से रश्मि
बिना आवाज दिए आ जाए तभी
मन में हो कोई बात रश्मि के बारे
तो बिना बतलाए समझ जाए सभी-