परम सत्य सर्वत्र तुम ही हो
सृष्टि में श्री तत्व तुम ही हो
ज्ञानी के ज्ञान तुम्ही हो
ध्यानी के प्रभु ध्यान तुम्ही हो
सब अक्षर मे साक्षर तुम्ही हो
भक्तों के भगवान तुम्ही हो
रामायण के राम तुम्ही हो
सब नामों के नाम तुम्ही हो
सब यज्ञों के परिणाम तुम्ही हो
भक्त तुम्ही और भगवान तुम्ही हो
ज्ञान तुम्ही विज्ञान तुम्ही हो
जन्म तुम्ही और मृत्यु तुम्ही हो
मेरे मन के भीतर बसने वाले विश्व रूप भगवान तुम्ही हो 🙏🙏
राधे राधे 🙏🙏
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इन चरणों का दास रहूं मैं
यही मिले आराम
होठों पर रटना राधे रानी का हो
चेहरे पर हलकी मुस्कान
ध्यान आपके चरणों में हो
धुल मिले श्री चरणो की
तत्पश्चात चर्णोदक् का करूं मै पान
रसना तब निकले मेरे प्राण
राधे राधे गाते गाते निकले मेरे प्राण।।
जय श्री राधे।।
- सुशांत-
जय मां सरस्वती।।
शब्द नहीं है वर्णन को
दर्पण भी कम है दर्शन
अस्तित्व का चिराग जलाया जिसने
संसार में जीना सिखाया जिसने
उंगली पकड़ चलाया जिसने
मेरी मुस्कान पर सब कुछ लुटाया जिसने
अपनी पावों के छाले न देखें
मुझको लायक बनाया जिसने
अपने सपनों को मारकर
मुझको दुनिया दिखाया जिसने
कैसे उनके उपकारों का भार सहूं
मुझ चींटी पर उपकारों का पहाड़ गिराया जिसने
हर प्रकार से विचार करके पाया मैंने
जिंदगी भी वार दूं तो कम है
मेरा जो नाम है वह भी उनका ही दिया है
ये उपकार ही क्या कम है
मेरे दुख को भी पिया जिसने
उनके उपकारों का मोल कभी न चुका पाऊंगा
इसलिए कर्तव्यविमूढ बनकर मैं
सिर्फ उनके आगे श्रद्धा के दो अश्रु गिरा पाऊंगा ।।
पिता के चरणों में वंदन है
उनकी ही सेवा में मेरा ये जीवन है।।-
मैं न्याय मांगने जाऊंगा
पर उपस्थित वहां अखिलेश्वर होंगे
मेरे वादी बनकर के ,
परमेश्वर होंगे पक्षकार
आत्मविश्वास की गवाई होगी
तब मेरे केस की सुनवाई होगी
मैं अपने पूर्वज का सम्मान
समाज मे क्या में न गिराऊंगा
मैं न्याय मांगने जाऊंगा
मैं न्याय मांगने जाउंगा।।
पूरी कविता caption में है जरूर पढ़ें।।
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दस द्वार खुले नवदीप जले,
अन्याय पे न्याय ने विजय पाई हैं
हर्षित है श्रृष्टि आज फिर राम की लीला
श्रृष्टि संचालन में काम अयि है
अवध पूरी में शुभ घड़ी आई है ।।
शुभ दीपावली
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वृन्दावन की श्वेत धरा पर सोम रस बरसाते हो,
महारास के पुण्य समय में ब्रजभूमि को अपनी छमता से सजाते हो,
शरद पूर्णिमा में बिहारी जी को श्वेत वस्त्र पहनाते हो, कारण जो हो प्रेम पुजारी कहलाते हो (राधे-राधे )।।
शरद पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं (सुशांत)-
श्वेत रूप में ,श्वेत वस्त्र में ,मेरे कुंज बिहारी
श्वेत रूप में सब गोपी हैं और श्वेत वस्त्र को शोभित करती
मेरी श्यामा प्यारी ,श्री हरिदास दुलारी
पुर्ण रूप में चंद्रमा ने नील गगन को श्वेत किया है
वृंदावन में आज प्रभु ने
गोपी और ग्वालीन संग
निधिवन में है महारास किया है
शरद पूर्णिमा में मेरे प्रभु ने महारास किया है
ब्रज भूमि के कण कण में
राधा जी की छवि को अंकित किया है ,
ब्रह्मा जी भी देख सशंकित हैं इस छवि को
आज सभी ग्वालिन के एक पिया हैं
सभी गोपीयों ने
भागवत के सार (गोपी गीत ) को बिहारी जी के सम्मुख प्रस्तुत किया है
पता नहीं आज ज्ञानियों का ज्ञान कहां है
बस चहुं ओर राधा कृष्ण ने सबको मोह लिया है
सबकी भक्ति को सार्थक किया है।। राधे राधे।।
शरद पूर्णिमा के सुअवसर पर बिहारी जी को कोटि कोटि प्रणाम।।
।। कृष्णचंद्र भगवान की जय हो।।-
श्रद्धा से दो शब्द लिखुं माँ
सुख हो या दुख हो
मैं सिर्फ आपको ही भजूं माँ
दुख का भंडार पड़ा माँ
तेरा पुत्र,
तेरे दर पे निराश खड़ा माँ
करुणा की नजर फेरो मुझ पर
तेरे सहारे के सिवा ,
कोई न सहारा मुझ पर
जितना भी बुरा हूं तेरा हूं
अपने जीवन की परीक्षा
मैं तेरे बल पर ही दे रहा हूं ।।
।। जय मां भगवती।।-
फूलों से माँ सज्जित रहे
नर मुंडों का पहने हार
सिंह पे सवार होकर
खड्ग से करती प्रहार
गायत्री बन रक्षा करें
अन्नपूर्णा बन भरे
अन्न का भंडार
आदि शक्ति जगदम्ब हैं
सबकी प्राणाधार
जगदम्बा जगदम्ब हैं
सबकी प्राणाधार
जय माँ दुर्गे।।-
मैं भी अकेला डोला करता हूं अनजान डगरों पर
ये सोचा करता हूं,
एक दिन तो मिलोगी कहीं किसी मोड़ पर
उस दिन तुम्हारे हाथों को कस के चूम लूंगा
और कुछ क्षण रुककर वहीं
तुम्हारी बाहों में ही दुनियां तमाम घूम लूंगा।।-