Suryanshu Walvekar   (सुर्यांशू)
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Joined 19 June 2017


Joined 19 June 2017
3 JAN 2021 AT 5:42

मुद्दतें गुज़री, तेरी याद भी न आयी हमें,
और हम भूल गए हो तुझे, ऐसा भी नहीं...

उस शब् को गुज़रे, कितने मौसम गुज़रे,
और गुज़र गयी वो शब्, ऐसा भी नहीं...

ज़माना गवाह है, कितनी नफ़रत की है तुझसे मैंने,
और सच कहा हो ज़माने से कभी, ऐसा भी नहीं...

- (रघुपति सहाय फिराक से प्रेरित)

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25 AUG 2019 AT 0:13

सौ बात की एक बात है,
जो बात है इस बात में..
कोई बात जब तक लगी नहीं,
कुछ बात तब तक बनी नहीं...

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2 APR 2019 AT 1:07

sale के बाजार की चहल पहल सी,
लड़की वो तूफ़ान mail सी,
tewar में किसी कसी गुलेल सी,
बातें बस harry potter नॉवेल सी,
बेहिचक बेपरवाह वो सरे आम
उलटे सीधे फोटो से भरा instagram
किताब से बाहर निकल कर, सिर्फ shopping करने जाती है,
लिस्ट में सबसे पहले dark chocolate , make-up kit आती है
बड़ा अलग fashion का अंदाज़ है,
सर पे टोपी, और police का लिबास है,
साड़ी में manjulekha से है competition,
लाखों है इनके फेस expression में variation
कहने को खिदमत में, और भी बोहोत है
पर यहाँ तक ही कविता वो समझ के पढ़ ले, यही बोहोत है
sale के बाजार की चहल पहल सी,
लड़की वो तूफ़ान मेल सी...
😆🤣🤣😆

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15 JAN 2019 AT 0:54

ख़ाली पड़े उस कमरे में,
धूप आकर अब किससे बतिआएगी

बगीचे में चमेली के फ़ूल तो आएंगे,
मगर अब तेरे हाथों को तरस जायेंगे

मिट्टी के भगवान् की वो मूरत अब,
तेरी सूखी रोटी के निवालों को तरस जाएगी

तेरी खु़शबू सी आती रहेगी
तेरे बुने ऊन के स्वेटरों से,
मेरी बाहें लेकिन तेरे एहसास को
हमेशा तरस जाएगी

वो शक़्स तो नहीं अब
बस उसकी कुछ बातें, कुछ यादें साथ रह जाएंगी...

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22 NOV 2018 AT 0:19

ख़ाली होने को है पैमाना मेरी नज़र का
एक दफा नज़रों से अपनी, इन्हें भर तो दीजिये

आपका नूर ए हुस्न ही काफ़ी है, मेहफ़िल रौशन करने को
कुछ तो रहम कीजिये, ये शमाएँ बुझा दीजिये

आपकी एक अंगड़ाई के इंतज़ार में, कब से रुकी है ग़ज़ल मेरी
मोहतरमा, कुछ तो इनायत कीजिये

मेरी पूरी हयात गिरवी रख छोड़ी है आपके पास मैने
कहो तो मर जाएं, इजाज़त तो दीजिये

सिर्फ आप ही से कहता हूँ ये सारे झूठ मैं
सच कहता हूँ, ऐतबार तो कीजिये

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17 SEP 2018 AT 23:50

यक़ीनन कुछ तस्वीरें तो रखी होंगी उसने मेरी
कुछ लोग मग़र आदतन, भुला दिए जाते हैं

वो कहते थे, कभी झूठ नहीं कहते वो मुझसे
कुछ सच मग़र इरादतन, छुपा दिए जाते थे

बेशक वाकिफ़ था अंजाम से अक्सर
कुछ वादे मग़र मुग़ालतन, निभा दिए जाते थे

मेरे लिखे ख़त आज भी पढ़े जाते होंगे तन्हाई में
कुछ नाम मग़र ग़ालिबन, मिटा दिए जाते हैं

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28 AUG 2018 AT 21:17

किसी गुज़रे वक़्त के किस्से रहते हैं बस यहाँ
मैं जैसे चलता फिरता कोई कब्रिस्तान हो गया हूँ

एक शक़्स है, जो है नहीं
पर एक मुद्दत से उस से जंग में हूँ

कुछ लोग हैं, जो कहते हैं, कि जानते हैं मुझे
क्या मैं ही मुग़ालतन तलाश में हूँ

बेअसर ही रहते हैं तंज़ अब मुझ पर सारे
कोई अपने से ज़ख्म की फिराक़ में हूँ

अक्सर ही चला जाता हूँ दरवाज़े तक उठ कर
भूल जाता हूँ, हक़ीक़त में हूँ

कुछ देर ही तो हुई है उन्हें रुख़सत हुए
अरे कुछ तो लिहाज़ करो, हिज्र-ए-फ़िराक में हूँ

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17 AUG 2018 AT 6:42

एक ज़ख़्मी पुरानी इमारत की मरम्मत को
कुछ परिंदे आये थे यहाँ, घोंसला बनाने....

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16 AUG 2018 AT 10:58

क़द इतना बढ़ गया है, हसरतों के पैमानों का
शराब कितनी भी भर दो, कम ही लगती है...

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15 AUG 2018 AT 4:16

Doesnt matter, whether or not I said
Being part of you was a privilage, I had

No desires left now, no wish unfulfilled
Some memories of us together, and thats all I need

I wear your smile now
A sweet fragrance of you hungs around
I left myself far behind
When it was you, I found

There are things,
That words can not say
But this is what I breath,
This is what I pray
There is one, and only one truth true
Mi amore,
You are the sole reason I live,
You are the only reason I will die for...

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