जो उदास हो कोई, तो अपने सारे गम भूल उसे हसाना पड़ता है
कोई भी रिश्ता ख़ूबसूरत नहीं होता,उसे ख़ूबसूरत बनाना पड़ता है।।
वायदे तो करते हैं कई, पर किये वादों को निभाना पड़ता है,
कोई भी रिश्ता ख़ूबसूरत नहीं होता,उसे ख़ूबसूरत बनाना पड़ता है।।
कई बार रिश्तों के ख़ातिर, गुस्से का घूंट पी जाना पड़ता है,
कोई भी रिश्ता ख़ूबसूरत नहीं होता,उसे ख़ूबसूरत बनाना पड़ता है।।
कौन किससे है बड़ा, किसको किसकी लाज,
कई बार इन बातों को भूल झुक जाना पड़ता है
कोई भी रिश्ता ख़ूबसूरत नहीं होता,उसे ख़ूबसूरत बनाना पड़ता है।।
गुस्से की आग में पगलाये इस दिल को,
प्यार की थपकी से सुलाना पड़ता है
कोई भी रिश्ता ख़ूबसूरत नहीं होता,उसे ख़ूबसूरत बनाना पड़ता है।।
उसके लाख ना बताने पर भी,उसके मन में चल रही उलझनों को समझ जाना पड़ता है,
कोई भी रिश्ता ख़ूबसूरत नहीं होता,उसे ख़ूबसूरत बनाना पड़ता है।।
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